Muthbher

Author: Dhruv Gupt
Edition: 2004, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Muthbher

सुपरिचित कवि, ग़ज़लगो तथा सम्पादक ध्रुव गुप्त का कहानी के क्षेत्र में आगमन एक सुखद घटना है। ‘मित्र’ में प्रकाशित उनकी कहानी ‘नाच’ ने विषय के चयन, कथा गठन के कौशल, कथा की ज़मीनी पकड़ और भाषा की जीवन्तता के कारण मुझे आश्चर्यचकित किया था। इस दौरान कुछ अन्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित उनकी कहानियाँ भी नई ज़मीन तोड़ती हुई प्रतीत हुईं।

‘मुठभेड़’ ध्रुव गुप्त का पहला कहानी-संग्रह है, लेकिन हाथ के नएपन का एहसास इन कहानियों में कहीं नहीं। पेशे से पुलिस अधिकारी ध्रुव गुप्त ने अपने अनुभव संसार की प्रखरता को अपने कवि मन की संवेदनशीलता और काव्यात्मक भाषा में ढालकर अपनी कहानियों को निखारा और एक नया स्वाद प्रदान किया है। इन कहानियों में हमारे समय का यथार्थ पूरे तीखेपन के साथ व्यक्त हुआ है। संग्रह की प्रायः सभी कहानियाँ हमारे मन में एक टीस पैदा करती हैं। व्यवस्था की बदतरी और सामाजिक विकृतियों के प्रति हमें सजग बनाती हैं। हमें सोचने को बाध्य करती हैं।

इस संग्रह की पाँच कहानियाँ पुलिस ज़मीन की कहानियाँ हैं जो कथाकार का अनुभव जगत भी है। ‘मुठभेड़’ में जब माहौल की विसंगतियाँ एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी को अमानवीय बनाती हैं तो सचमुच मन कचोट कर रह जाता है। यह बाहरी संघर्ष की ही नहीं, आन्तरिक संघर्ष की भी कथा है। इसी तरह ‘हत्यारा’ और ‘कांड’ कानूनी दाव-पेच के कारण न्याय न दिला पाने की एक संवेदनशील पुलिस अधिकारी की आन्तरिक पीड़ा को बेहद मर्मस्पर्शी तरीक़े से व्यक्त करती हैं।

‘समय और समाज का सच तथा संवेदना का नया आख्यान’ मेरी समझ से कहानियों की कसौटी है। ध्रुव गुप्त की कहानियाँ निःसन्देह इस कसौटी पर खरी उतरती हैं।

—मिथिलेश्वर

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2004, Ed. 1st
Pages 127p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1
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Dhruv Gupt

Author: Dhruv Gupt

ध्रुव गुप्त

जन्म : गोपालगंज, बिहार।
कार्य : भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी।
प्रमुख कृतियाँ : ‘कहीं बिलकुल पास तुम्हारे’, ‘जंगल जहाँ ख़त्म होता है’ (कविता-संग्रह); ‘मुठभेड़’ (कहानी-संग्रह); ‘नंदलाल बोस : जीवन और कृतित्व’ (सम्पादन), ‘एक ज़रा सा आसमाँ’, ‘मौसम के बहाने’, ‘मुझमें कुछ है जो आईना-सा है’ (ग़ज़ल-संग्रह)।
सम्मान : ‘बिहार उर्दू अकादमी सम्मान’, ‘निराला सम्मान’।
ई-मेल : dhruva.n.gupta@gmail.com

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