Morchebandi

Author: Surendra Pratap
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Morchebandi
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मोर्चेबन्दी’ उपन्यास जीवन और समाज के कई मोर्चो की कथा है जिसमें निजी और राजनीतिक मोर्चे हैं। मुख्य रूप से इस उपन्यास में भाषा समस्या को उठाया गया है। यह उपन्यास अंग्रेजी हटाओ पर आधारित है जिसमें अंग्रेजों से भारतीय भाषाओं की टकराहट है। भाषा की समस्या एक जटिल और विवादास्पद समस्या है। भारत में आज भी राष्ट्रभाषा का मुद्दा सुलझ नहीं पाया। मोर्चेबन्दी में अंग्रेजी के स्थान पर भारतीय भाषाओं में सरकारी काम-काज की भाषा बनाने की प्रबल मांग है।

मोर्चेबन्दी का समूचा आन्दोलन गाँधीवादी समाजवादी मूल्यों आदर्शों पर आधारित है। इस उपन्यास में भाषा के अतिरिक्त छात्रों की अन्य समस्याओं शिक्षा-परीक्षा ढाँचे में अमूल-चूल परिवर्तन, सभी विश्वविद्यालयी समितियों में साझेदारी, पुस्तकालय का आधुनिकीकरण, बुकबैंक, शिक्षा ऋण, मुफ्त चिकित्सा, छात्र न्यायालय, मैरेज ब्यूरो सेंटर, शिक्षा के लिए फेलोशिप, रोजगार की गारंटी या बेरोजगारी भत्ता आदि का उल्लेख किया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Surendra Pratap

Author: Surendra Pratap

सुरेन्‍द्र प्रताप  

उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के गाँव भदवार (केराकत) में 10 जुलाई, 1947 को जन्म। प्राथमिक शिक्षा गाँव में।

स्नातक-परास्नातक एवं पीएच-डी. की उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से।

छात्र जीवन से समाजवादी आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी। सन् 1967 ई. के अंग्रेजी हटाओं आन्दोलन में गिरफ्तारी, जेल और विश्वविद्यालय से सक्रिय निष्कासन, सन् 1978 से महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ में हिन्दी अध्यापन। 

अध्यापन के साथ-साथ राजनीतिक सामाजिक सक्रियता एवं साझेदारी, किसान मजदूर के साथ विभिन्न ट्रेड यूनियनों में लम्बी सक्रिय भागीदारी, अध्यापन एवं राजनीतिक सहभागिता के साथ-साथ स्वतंत्र लेखन निरन्तर सक्रिय।

साहित्य सेवा—मुक्तिबोध विचारक, कवि और कथाकार (आलोचना), कविता का द्वंद्व (आलोचना), साठ के बाद का हिन्दी उपन्यास (आलोचना), आधुनिक कहानियाँ, आधुनिक निबन्ध)। महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ के हिन्दी एवं भारतीय भाषा विभाग के अध्यक्ष पद से सेवानिवृत।

सम्प्रति : निराला निवेश रथयात्रा, वाराणसी-221010 से स्वतंत्र लेखन और सामाजिक कार्यों में सहभागिता।

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