Mam Aranya

Author: Sudhakar Adeeb
Edition: 2012, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Mam Aranya
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वीरवर लक्ष्मण अपने चारों ओर विस्तीर्ण एवं अभ्यन्तर में घुमड़ते-गूँजते अरण्य से जूझते चौदह वर्ष देश निकाला पाए अपने अग्रज श्रीराम के साथ विचरते रहे। रामकथा तो इस धरती के कण-कण और पत्ते-पत्ते पर लिखी गई तथा बहुश्रुत है। परन्तु त्यागमूर्ति लक्ष्मण अधिकतर मौन-से चित्रित किए गए हैं। कुछेक स्थलों पर जब वह अपने सम्पूर्ण तेज के साथ मुखर होते हैं, तो उन्हें उनके मर्यादाप्रिय अग्रज श्रीराम शान्त करा देते हैं। ऐसा अनेक रामायणों में होता आया है।

विचारणीय यह है कि क्या सौमित्र-लक्ष्मण सम्पूर्ण रामकथा में सदैव मौन ही रहे होंगे? क्या उनका अपना कोई स्वतंत्र व्यक्तित्व नहीं रहा होगा? इतना तेजस्वी, इतना कर्मठ और शौर्यवान् योद्धा भला क्या इतना चुपचाप रह सकता है? फिर रामानुज लक्ष्मण का स्वयं का चिन्तन क्या रहा होगा? ये प्रश्न वर्षों तक मेरे मन में आकार लेते रहे। समाधान इस ‘मम अरण्य’ के रूप में उपस्थित हुआ है।...

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 356p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Sudhakar Adeeb

Author: Sudhakar Adeeb

सुधाकर अदीब

जन्म : 17 दिसम्बर, 1955; फ़ैजाबाद (उ.प्र)।

शिक्षा : हिन्दी साहित्य में एम.ए. करने के उपरान्त ‘हिन्दी उपन्यासों में प्रशासन' विषय पर एक महत्त्वपूर्ण एवं चर्चित शोध-प्रबन्ध रचकर पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की।

हिन्दी साहित्य के साथ इतिहास का भी अध्ययन। उत्तर प्रदेश सिविल सेवा के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य कर चुके डॉ. सुधाकर अदीब निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पद से 31 दिसम्बर, 2015 को सेवानिवृत्त हुए।

प्रकाशित कृतियाँ : चार काव्य-संग्रह, चार कहानी-संग्रह, शोध-प्रबन्ध तथा छह उपन्यास— ‘अथ मूषक उवाच’, ‘चींटे के पर', ‘हमारा क्षितिज', ‘मम अरण्य', ‘शाने तारीख़ ', ‘रंग रांची', ‘कथा विराट'।

सम्मान : अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से समादृत।

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