Rang Raachi

Author: Sudhakar Adeeb
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Rang Raachi
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मीराँ अपना एकतारा और खड़ताल हाथों में लेकर बिना किसी भूमिका के गा उठीं—

सिसोदिया वंश के राणा यदि मुझसे रूठ गए हैं तो मेरा क्या कर लेंगे?... मुझे तो गोविन्द का गुण गाना है।... राणा जी रूठकर अपना देश बाख लेंगे।” दूसरे शब्दों में, देश में व्याप्त कुप्रथाओं एवं रूढ़ियों की रक्षा कर लेंगे।...किन्तु “यदि हरि रूठ जाएँगे तो मैं कुम्हला जाऊँगी। अर्थात् मेरी भक्ति व्यर्थ चली जाएगी।”

“मैं लोक-लज्जा की मर्यादा को नहीं मानती।... मैं निर्भय होकर अपनी समझ का नगाड़ा बजाऊँगी!... श्याम नाम रूपी जहाज़ चलाऊँगी... इस तरह मैं इस भवसागर को पार कर जाऊँगी!... मीराँ अपने साँवले गिरधर जी की शरण में हैं तथा उनके चरणकमलों से लिपटी हुई हैं!...”

इस प्रकार मीराँ का यह सात्त्विक विद्रोह ही तो था। अपनी मान्यताओं के प्रति उनकी दृढ़ता का प्रतीक। तत्कालीन झूठी लोक-मर्यादाओं की बेड़ियाँ जो शताब्दियों से स्त्री के पैरों में स्वार्थी पुरुष ने विभिन्न नियम संहिताएँ रचकर अपने हितलाभ के लिए पहना रखी थीं। मीराँ चुनौती दे रही थीं, उस सामन्ती युग में स्त्रियों के सम्मुख कड़ी कुप्रथाओं, कुपरम्पराओं का। वह अपूर्व धैर्य के साथ सामना कर रही थीं लौह कपाटों के पीछे स्त्री को धकेलने और उसे पत्थर की दीवारों की बन्दिनी बनाकर रखने, पति के अवसान के बाद जीते जी जलाकर सती कर देने, न मानने पर स्त्री का मानसिक और दैहिक शोषण करने की पाशविक प्रवृत्तियों का। मीराँ का सत्याग्रह अपने युग का अनूठा एकाकी आन्दोलन था जिसकी वही अवधारक थीं, वही जनक थीं और वही संचालक। मीराँ ने स्त्रियों के संघर्ष के लिए जो सिद्धान्त निर्मित किए उन पर सबसे पहले वे ही चलीं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 448p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Sudhakar Adeeb

Author: Sudhakar Adeeb

सुधाकर अदीब

जन्म : 17 दिसम्बर, 1955; फ़ैजाबाद (उ.प्र)।

शिक्षा : हिन्दी साहित्य में एम.ए. करने के उपरान्त ‘हिन्दी उपन्यासों में प्रशासन' विषय पर एक महत्त्वपूर्ण एवं चर्चित शोध-प्रबन्ध रचकर पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की।

हिन्दी साहित्य के साथ इतिहास का भी अध्ययन। उत्तर प्रदेश सिविल सेवा के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य कर चुके डॉ. सुधाकर अदीब निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के पद से 31 दिसम्बर, 2015 को सेवानिवृत्त हुए।

प्रकाशित कृतियाँ : चार काव्य-संग्रह, चार कहानी-संग्रह, शोध-प्रबन्ध तथा छह उपन्यास— ‘अथ मूषक उवाच’, ‘चींटे के पर', ‘हमारा क्षितिज', ‘मम अरण्य', ‘शाने तारीख़ ', ‘रंग रांची', ‘कथा विराट'।

सम्मान : अनेक सम्मानों एवं पुरस्कारों से समादृत।

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