Main Samay Hoon

Author: Pawan Jain
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Main Samay Hoon

कुछ लोग कविता को एक ऐसा साज बनाना चाहते हैं जिसकी मधुर आवाज़ से थके-हारे इनसानों को नींद आ सके। लेकिन, पवन जैन उनमें से हैं जो कविता को ऐसा हथियार बनाना चाहते हैं जिसे लेकर समाज के शोषण और दुनिया के अँधियारे से युद्ध किया जा सके। पवन जैन की कविताएँ एक जागते हुए कवि की रचनाएँ हैं जो अपने चारों ओर पल-पल बदलती और बिगड़ती दुनिया को देख रहा है और हमें दिखाना चाहता है और साथ ही बिन पूछे हमसे पूछना चाहता है कि करना क्या है?

—जावेद अख्तर             

 

कविता किसे कहते हैं? वह शब्द है या शब्दार्थ? भाव है या भाव का भाषिक विस्फोट या फिर अति संवेदनशील लोक-मानस की असाधारण भाव प्रतिक्रिया—इस सब पर बरसों से विचार होता चला आ रहा है और समाज और कला-संस्कृति की परम्परा में इस सबको अलग-अलग समयों में स्वीकार-प्रतिस्वीकार किया जाता है।

यह भी कि कविता को कोई एक सुनिश्चित आकार-प्रकार, सुनिर्धारित ढाँचा या फिर अभिव्यंजना पद्धति आज तक अपनी सीमा रेखा में नहीं बाँध सकी। करोड़ों-करोड़ जाने-माने चेहरों की अपूर्वता और मौलिकता की तरह कविता भी हमेशा अपूर्व और मौलिक को अपनी आधारभूत पहचान मानती आई है—ठीक निसर्ग-सृजन की तरह। तथापि वह एक अभिव्यंजना-कला भी है। कवि द्वारा प्रयुक्त जाने-पहचाने से शब्द जब सर्वथा एक नई मुद्रा में आकर हमसे रोचक या उत्तेजक संवाद करने लगते हैं, हम मान लिया करते हैं, यह तो कविता है। तब भाषा के इस प्रकार की बनावटों को कविता कहना कोई अनहोना कथन कैसे कहा जाए?

पवन जैन की इन कविताओं का अन्तरंग गहरा राजनीतिक है। रचनात्मक तौर पर राजनीतिक किन्तु भारी सामूहिक व्यथा और क्षोभ से उपजा हुआ है। आदर्श नहीं बचे, मूल्य अवमूल्यों के द्वारा खदेड़ दिए गए, विचार की जगह कुविचार और घर को नष्ट-भ्रष्ट कर बाज़ार हमारे बीच किसी महानायक का प्रेत बन आ खड़ा है। ऐतिहासिक और क्रूर यथार्थ से ये कविताएँ हमारा साबक़ा करवाती हैं।

इन कविताओं में भाषा एक चीख़ बनकर फूटी है। इससे हम कविता की ऐतिहासिक ज़िम्मेदारियों और भाषा के आवेग-विह्वल विचलनों का अनुमान लगा पाएँगे और यह भी कि समय की बहुरूपी जटिलता और मानव-संवेदना की छटपटाहटों के बीच छिड़ा संग्राम किस तरह कविता का चेहरा-मोहरा बदल दिया करता है।

—डॉ. विजयबहादुर सिंह

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1.5
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Author: Pawan Jain

पवन जैन

4 जुलाई, 1963 को राजाखेड़ा, धौलपुर (राजस्थान) में जन्म।

राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से फिजिक्स में स्नातकोत्तर।

1987 से भारतीय पुलिस सेवा में।

पुलिस अधीक्षक के रूप में विदिशा, सरगुजा, खरगौन, मुरैना और सीहोर में पदस्थ रहे।

सरगुजा ज़िले में कोयलांचल के दस हज़ार से अधिक खदान मज़दूरों को सूदख़ोरों के चंगुल से ऋण-मुक्त कराने के लिए 1997 में ‘टी.पी. झुनझुनवाला समाज सेवा पुरस्कार’, मध्य भारतीय हिन्दी साहित्य परिषद् द्वारा वर्ष 2002 के लिए ‘निराला युवा साहित्य सम्मान’ एवं 2003 में सराहनीय सेवाओं के लिए ‘राष्ट्रपति पुलिस पदक ।

सम्प्रति : निदेशक, खेल एवं युवा संचालनालय, मध्य प्रदेश।

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