Mahabharat Ke Maharany Mein

Author: Pratibha Basu
Translator: Indukant Shukla
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Mahabharat Ke Maharany Mein

‘महाभारत’ नामतः भरतवंश का इतिहास होकर भी, वस्तुतः सत्यवती-द्वैपायन के वंश का इतिहास है। इस ग्रन्थ में धर्म भी कुछ नहीं, अधर्म भी कुछ नहीं। जो है वह केवल सुविधावादी का सुविधाभोग। विदुर-युधिष्ठिर जैसे धार्मिक लोग एवं ईश्वर के प्रतिभू कूट-दक्ष बहुसंख्य आज भी हमारे चारों ओर विराजमान हैं। दुर्योधन स्वभाव से ही कुछ संयत एवं सहिष्णु चरित्र के हैं। प्रचार की महिमा से ठीक इसके विपरीत लोग विश्वास करते आए हैं। कुरुक्षेत्र का ‘धर्मयुद्ध’ कितनी दूर अधर्म के यूपकाष्ठ में बलि हो सकता है, यह जानकर स्तम्भित होना पड़ता है। जिस भारत में आज भी जातिभेद प्रबल है, उच्च और निम्नवर्ग का भेद शरीर के रंग में प्रतिकारित है, वहाँ क्षत्रियों की इस कहानी में सर्वत्र काले रंग का आधिपत्य दिखेगा—शुद्ध रक्त की चूड़ान्त पतन और विलोप।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 151p
Translator Indukant Shukla
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Pratibha Basu

Author: Pratibha Basu

प्रतिभा बसु

जन्म : 13 मार्च, 1915
लेखक के रूप में प्रतिभा बसु का परिचय देना अनावश्यक है। उनकी असामान्य लेखनी से उद्भूत प्रेम की कहानियों एवं उपन्यासों ने बंगाली पाठकों को निरन्तर तृप्त किया है। किन्तु उन्होंने ‘महाभारत’ विषयक जो समालोचना ग्रन्थ हमें उपहार दिया है, वैसा दुस्साहसी भाष्य हमें देखने को अब तक नहीं मिला। उनकी स्पष्टवादिता और स्वकीय चिन्ता विस्मयजनक है। पूर्णतः नई भंगिमा से लिखा गया ‘महाभारत के महारण्य में’ निस्सन्देह कालजयी ग्रन्थ प्रमाणित होगा।

सम्मान : ‘आनन्द पुरस्कार आदि।’

निधन : 13 अक्टूबर, 2006

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