Lok Sanskriti Aur Itihas

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Author: Badri Narayan
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Lok Sanskriti Aur Itihas
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प्रस्तुत पुस्तक ‘लोक-संस्कृति और इतिहास’ के प्रथम लेख में इतिहासकारों का लोक-संस्कृति से कटाव, बौद्धिक-ज्ञान और जन-ज्ञान के बीच निरन्तर चौड़ी और गहरी होती खाई की समस्या पर विचार व्यक्त किए गए हैं।

दूसरे लेख में पूर्वी लोक-चेतना में राष्ट्रवाद के प्रतिदर्श का अध्ययन और अखिल भारतीय राष्ट्रवाद से इसके सम्बन्धों के स्वरूप एवं द्वन्‍द्व को भी समझने का प्रयास किया गया है।

तीसरे लेख में दन्तकथाओं को इतिहास की संघटनाओं से जोड़कर देखने का प्रयत्न किया गया है।

बाद के अन्य लेख लोक-कवित्तों, मुहावरों, गीतों, लोकायनों तथा लोक-संस्कृति के विविध रूपों के माध्यम से लोक-चेतना में प्रवेश करने का प्रयास है।

यह पुस्तक इतिहास, सामाजिक विज्ञान, लोक-संस्कृति के अध्येताओं के छात्रों के लिए उपयोगी तो है ही, साथ ही साथ आम पाठकों के लिए भी बेहद महत्त्वपूर्ण है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1994
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 126p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Editorial Review

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Badri Narayan

Author: Badri Narayan

बद्री नारायण

बद्री नारायण हिन्दी के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। नवें दशक के कवियों में सर्वाधिक चर्चित। आप सामाजिक इतिहास एवं सांस्कृतिक मानवविज्ञान के विशेषज्ञ भी हैं। हिन्दी के एक प्रतिष्ठित कवि होने के साथ-साथ आप उत्तर भारत की आधारभूत राजनीतिक समझ और निर्मितियों की पहचान करनेवाले समाजविज्ञानी के रूप में भी जाने जाते हैं।

आपके प्रकाशित कविता-संग्रह हैं—‘खुदाई में हिंसा’, ‘शब्दपदीयम’ और ‘सच सुने कई दिन हुए’। आपकी प्रतिनिधि कविताओं की पुस्तक भी शीघ्र ही प्रकाशित होनेवाली है। आप ‘भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार’, ‘बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान’, ‘केदार सम्मान’, ‘स्पंदन कृति पुरस्कार’, ‘राष्ट्रकवि दिनकर पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘मीरा स्मृति सम्मान’ से सम्मानित हो चुके हैं। आपकी कविताएँ अंग्रेज़ी, बांग्ला, उड़ि‍या, मलयालम, उर्दू तथा अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। आपने देश-विदेश के अनेक साहित्यिक मंचों पर काव्य-पाठ किया है। आप कविता लिखने के साथ-साथ उस पर हो रहे चिन्तन एवं विमर्श के एक प्रखर हस्ताक्षर के रूप में भी जाने जाते हैं।

हिन्दी तथा अंग्रेज़ी के शीर्षस्थ पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक विशेषणों पर आधारित आपके कॉलम भी प्रकाशित होते रहे हैं। आपके वैचारिक निबन्धों की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं।

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