Khilega To Dekhenge

Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Khilega To Dekhenge
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खिलेगा तो देखेंगे विनोद कुमार शुक्ल का बहुत चर्चित उपन्यास है। आदिवासी जीवन और परिवेश के दृश्यों में रचे-बसे इस उपन्यास में भी विनोद कुमार शुक्ल की वह कथा-शैली देखने को मिलती है जो उनका अपना आविष्कार है। बिना किसी ठोस कथा-सूत्र के खिलेगा तो देखेंगेएक सामूहिक जीवन की कथा कहता है, जिसमें असाधारण शिल्प में बुनी दृश्यावली और कल्पनाशील बिम्बों के द्वारा साधनहीनों और अकसर मूक रहनेवाले लोगों के सुख और दु:ख ख़ुद-ब-ख़ुद सामने आकर अपने आपको दिखाते हैं। यह उपन्यास जो आप को बताता है, आप उससे ज़्यादा महसूस कर पाते हैं जिसका श्रेय विनोद कुमार शुक्ल के जादू जैसे गद्य, उनकी दृष्टि और भाषा को जाता है। प्रकृति इस कथा में जीवन की भी सहचरी है, पीड़ा और प्रसन्नताओं की भी, और उस उम्मीद की भी जिसे विनोद कुमार शुक्ल हर हाल में बचाए रखते हैं।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 248p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Vinod Kumar Shukla

Author: Vinod Kumar Shukla

विनोद कुमार शुक्ल

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी, 1937 को राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ। जबलपुर कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर से उच्च शिक्षा प्राप्त की। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘लगभग जयहिन्द’, ‘वह आदमी नया गरम कोट पहिनकर चला गया विचार की तरह’, ‘सब कुछ होना बचा रहेगा’, ‘अतिरिक्त नहीं’, ‘कविता से लम्बी कविता’, ‘कभी के बाद अभी’, ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘पेड़ पर कमरा’ तथा ‘महाविद्यालय’ (कहानी-संग्रह); ‘नौकर की क़मीज़’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘हरी घास की छप्पर वाली झोपड़ी और बौना पहाड़’ (उपन्यास)। मेरियोला आफ़्रीदी द्वारा इतालवी में अनूदित एक कविता-पुस्तक का इटली में प्रकाशन, इतालवी में ही ‘पेड़ पर कमरा’ का भी अनुवाद। कई रचनाएँ मराठी, मलयालम, अंग्रेज़ी तथा जर्मन भाषाओं में अनूदित।

मणि कौल द्वारा 1999 में ‘नौकर की क़मीज़’ पर फ़िल्म का निर्माण। ‘आदमी की औरत’ और ‘पेड़ पर कमरा’ सहित कुछ कहानियों पर अमित दत्ता के निर्देशन में बनी फ़िल्म ‘आदमी की औरत’ को वेनिस फ़ि‍ल्म फ़ेस्टिवल के 66वें समारोह (2009) में स्पेशल इवेंट पुरस्कार।

1994 से 1996 तक निराला सृजनपीठ में अतिथि साहित्यकार रहे।

आप ‘गजानन माधव मुक्तिबोध फ़ेलोशिप’,‘राष्ट्रीय मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, ‘शिखर सम्मान’ (म.प्र. शासन), ‘हिन्दी गौरव सम्मान’ (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), ‘रज़ा पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कवि शेखर सम्मान’, ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’ तथा ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित हैं।

वे इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से कृषि-विस्तार के सह-प्राध्यापक पद से 1996 में सेवानिवृत्त हुए। अब स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : सी-217, शैलेन्द्र नगर, रायपुर (छत्तीसगढ़)।

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