Kalam Aaj Unki Jai Bol

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Kalam Aaj Unki Jai Bol
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भारत का युवा जो साहित्य का विद्यार्थी है उसे भी या जो नहीं है वह भी ऐसे महान रचनाकारों के जीवन और सृजन से परिचित कराना पुस्तक का उद्देश्य है जिन्होंने भारत की स्वाधीनता में अपना तन-मन-धन सब कुछ समर्पित तो किया ही परन्तु अपनी लेखनी से ऐसा व्यापक जन जागरण किया कि सारा देश उस स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़ा और अन्ततः अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना ही पड़ा। इस दृष्टि से इस पुस्तक में आधुनिक हिन्दी साहित्य के ऐसे 14 रचनाकारों के जीवन और सृजन पर प्रकाश डालने का प्रयत्न किया गया है जिन्होंने अपनी लेखनी के द्वारा स्वाधीनता संग्राम में हिस्सा लिया, जिनकी रचनाएँ भारतीय समाज को उसके स्वाभिमान, गौरव और स्वतन्त्रता के महत्त्व का बोध कराती हैं। ऐसे रचनाकारों के बारे में देश के प्रत्येक व्यक्ति को जानना आवश्यक है जिनके प्रति हम सभी भारतवासियों का कृतज्ञता भाव रखना कर्तव्य है। ऐसा नहीं कि यह विशेषता केवल इन 14 कवियों में ही थी। परन्तु पुस्तक की एक सीमा है। इसीलिए मेरी दृष्टि से जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण थे उन्हें इस पुस्तक में सम्मिलित किया गया।

 

पुस्तक में इन कवियों के जीवन और सृजन के साथ ही उनकी तीन-तीन ऐसी प्रमुख रचनाएँ भी संकलित की गई हैं जो राष्ट्रीय चेतना की दृष्टि से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Vinamra Sen Singh

Author: Vinamra Sen Singh

विनम्र सेन सिंह

कवि एवं समीक्षक डॉ. विनम्र सेन सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में 15 नवम्बर 1988 को एक साहित्यिक परिवार में हुआ। आरम्भिक शिक्षा आजमगढ़ से ही प्राप्त कर स्नातक हेतु इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।

दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से शोध की उपाधि हेतु विवेकी राय के कथेतर गद्य में आंचलिकता और लोकजीवन' पर मौलिक कार्य किया। वर्ष 2016 से 2018 तक बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अध्यापन किया एवं वर्तमान में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।

'मार्क्सवादी आलोचना का विकास' पहली पुस्तक है। इसके अतिरिक्त 'अपना भारत देश महान', 'विवेकी राय: आंचलिकता और लोक जीवन, आदि इनकी मौलिक पुस्तकें हैं। इसके अतिरिक्त रामचरित उपाध्याय रचनावली के सह-सम्पादक के रूप में महत्त्वपूर्ण कार्य किया। 'काली मिट्टी पर पारे की रेखा' जैसी चर्चित पुस्तक के सह-सम्पादक के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। 'श्यामल घट: अमृत कलश' सहित अन्य कई पुस्तकों का सम्पादन किया। पत्र-पत्रिकाओं में शोध आलेख, कविताएँ, कहानियाँ एवं ललित निबन्ध प्रकाशित होते रहते हैं।

प्रयागराज में 'नया परिमल' नामक साहित्यिक संस्था की स्थापना कर उसके सचिव के दायित्वों का निर्वहन करते हुए साहित्य के निर्माण में अपना योगदान दे रहे है।

सम्पर्क : 6-एफ, बैंक रोड, विश्वविद्यालय शिक्षक आवास, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज- 211002

ई-मेल : vinamra1234@gmail.com

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