Jharkhand : Disum Muktigatha Aur Srijan Ke Sapne

Author: Harivansh
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Jharkhand : Disum Muktigatha Aur Srijan Ke Sapne

झारखण्ड एक सांस्कृतिक-सामाजिक अवधारणा है। आन्दोलन के दीर्घकालिक इतिहास ने इसे विशिष्ट पहचान दी है। देशज सृजन एवं विचारों के सपने। जिन्दगी की सादगी। व्यवहार की सरलता। जिस तरह झरने पहाड़ों-जंगलों में गुनगुनाते हैं, उसी तरह झारखंडी आकांक्षाएँ प्राकृतिक साहचर्य का जीवन्त संवाद प्रेषित करती हैं। झारखंडी दिसुम की मुक्तिगाथा इन्हीं बोधों का दस्तावेज है। मानवीय सम्मान, देशज जनज्ञान और स्वशासन की अपराजेय चेतना झारखंड का मूल स्वर हैं। झारखण्ड स्त्री-पुरुष समानता, स्वशासी ग्राम-परम्परा, सामुदायिक जीवन, सम्पत्ति पर सामूहिक हक और सर्वानुमति मूलक जनतंत्र का जीवन्त जनबोध है। मानवीय सरोकारों की आदिम चेतना निरन्तर गतिशील व नवीनीकरण की प्रक्रिया से गुजरती भावी दुनिया के लिए अनेक उपहारों को सँजोए है और इनसे संघर्ष और निर्माण की दोहरी प्रक्रिया स्वाभाविक जीवन बनकर उभरती है।

झारखण्ड प्रतिरोध संस्कृति का वह दिसुम (इलाका) है, जहाँ अस्मिता एवं स्वशासन एक गम्भीर विमर्श के रूप में सामूहिक चेतना का अभिन्न हिस्सा हैं। रचनात्मकता का एक नया क्षितिज दिखता है। श्रम की प्रतिष्ठा का अद्भुत केन्द्र। इस पुस्तक में झारखंडी दर्शन को व्यापक सन्दर्भ में देखने-समझने की कोशिश की गयी है। आदिवासी संस्कृति के मिथक एवं यथार्थ के विमर्श का विस्तृत फलक यहाँ प्रस्तुत है। समकालीन चुनौतियों एवं संकटों के बीच झारखंडी जनसमाज में अन्तर्निहित देशज विकल्प उम्मीदों से भरे रोशनदान हैं और अद्यतन विमर्श में एक नए अध्याय की तरह उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 396p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3
Write Your Own Review
You're reviewing:Jharkhand : Disum Muktigatha Aur Srijan Ke Sapne
Your Rating
Harivansh

Author: Harivansh

हरिवंश

हरिवंश देश के जाने-माने पत्रकार हैं। बलिया (उ.प्र.) ज़िले के सिताब दियारा में 1956 में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए.। 1977 में ‘रविवार’ में भी रहे। ‘विदुरा’ में सलाहकार सम्पादक के रूप में। 1990 से 2017 तक ‘प्रभात ख़बर’ (दैनिक) के प्रधान सम्पादक।

प्रमुख पुस्तकें हैं : ‘झारखंड : समय और सवाल’, ‘झारखंड : सपने और यथार्थ’, ‘झारखंड : अस्मिता के आयाम’, ‘झारखंड : सुशासन अब भी सम्भावना है’, ‘जोहार झारखंड’, ‘संताल हूल’, ‘बिहारनामा’, ‘बिहार : रास्ते की तलाश’, ‘बिहार : अस्मिता के आयाम’, ‘जनसरोकार की पत्रकारिता’ तथा चन्द्रशेखर से जुड़ी चार किताबों का सम्पादन।

दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ। फ़िलहाल राज्यसभा के उपसभापति हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top