Chandrashekhar Ke Vichar

Author: Harivansh
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chandrashekhar Ke Vichar

हमारे पारंपरिक समाज में ‘विचारवान’ एक आस्थासूचक विशेषण है। अगर कोई अच्छी बात कहता है और उससे लोगों का भला होता है, तो समाज की स्वाभाविक प्रतिक्रिया होती है–‘बड़ा विचारवान आदमी है।’ चन्द्रशेखर भारतीय राजनीति के ‘विचारवान शख्स’ थे!
चन्द्रशेखर समाज के लिए समाज की सतह पर खड़े होकर सोचते थे। प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के जमाने से ही चन्द्रशेखर समाजोन्मुख चिंतन और सामाजिक गैर-बराबरी को दूर करनेवाले विचार के साथ जनता से मुखातिब होते रहे। इसमें कोई शक नहीं कि चन्द्रशेखर समाजवादी विचारधारा की देन थे और इस विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा असंदिग्ध रही। जब वह छोटी अवधि के लिए प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने अपने अधिकांश भाषणों में अपने कामकाज का बखान करने की जगह भारत की गरीबी और विपन्न बच्चों की शिक्षा को लेकर गहरी चिंता जाहिर की। इस पुस्तक में संकलित भाषणों में भी यह चिंता बखूबी झलकती है।
आर्थिक सवाल पर उनके विचार वैज्ञानिक चेतना से संपन्न देशज स्वाभिमान की तरह हमारे सामने हैं–देशज विकल्प के साथ। यह विकल्प गांधी के रास्ते चन्द्रशेखर तक आया है, इसलिए इसमें प्रति नागरिक आत्मोन्नति को पहली प्राथमिकता प्राप्त है। कहते हैं–अगर उदारीकरण आत्मोन्नति के प्रयासों को धक्का नहीं पहुँचाता है, लालफीताशाही और भ्रष्टाचार की जकड़न से समाज को मुक्त कराता है, तो यह ठीक है–नहीं तो यह महज एक लफ्फाजी है और ऊँचे वर्गों का सोसा है–और यही हमारे समय में चल रहे उदारीकरण की नियति है।
इस पुस्तक में प्रधानमंत्रित्व काल के उनके भाषणों और ‘यंग इंडियन’ व अन्यत्र छपे उनके कुछ महत्त्वपूर्ण लेखों का संकलन किया गया है। इस संकलन की महत्ता यह है कि पाठक देख सकते हैं कि विभिन्न मुद्दों पर चन्द्रशेखर के विचार आज भी कितने प्रासंगिक हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 272p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Harivansh

Author: Harivansh

हरिवंश

हरिवंश देश के जाने-माने पत्रकार हैं। बलिया (उ.प्र.) ज़िले के सिताब दियारा में 1956 में जन्म। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए.। 1977 में ‘रविवार’ में भी रहे। ‘विदुरा’ में सलाहकार सम्पादक के रूप में। 1990 से 2017 तक ‘प्रभात ख़बर’ (दैनिक) के प्रधान सम्पादक।

प्रमुख पुस्तकें हैं : ‘झारखंड : समय और सवाल’, ‘झारखंड : सपने और यथार्थ’, ‘झारखंड : अस्मिता के आयाम’, ‘झारखंड : सुशासन अब भी सम्भावना है’, ‘जोहार झारखंड’, ‘संताल हूल’, ‘बिहारनामा’, ‘बिहार : रास्ते की तलाश’, ‘बिहार : अस्मिता के आयाम’, ‘जनसरोकार की पत्रकारिता’ तथा चन्द्रशेखर से जुड़ी चार किताबों का सम्पादन।

दुनिया के अनेक देशों की यात्राएँ। फ़िलहाल राज्यसभा के उपसभापति हैं।

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