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Jaishankar Prasad-Hard Cover

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9788180310485
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‘जयशंकर प्रसाद’ सन् 1939 में प्रकाशित आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की प्रारम्भिक कृति है जो नए संस्करण के साथ साहित्य प्रेमियों, छात्रों के लिए उपलब्ध है। इसमें प्रसाद जी पर लम्बी भूमिका के साथ पन्द्रह निबन्ध हैं। कथा-साहित्य, उपन्यास, काव्य और नाटकों पर प्रसाद जी के विराट व्यक्तित्व का यह समाकलन है। रचनाकार की अन्तःप्रेरणा, अनुसन्धान का परिचय इस पुस्तक में प्राप्त है। इस पुस्तक में कवि, कथाकार, नाटककार प्रसाद को सम्पूर्ण परिवेश में परखा गया है। एक व्यक्ति के इन विभिन्न रंगों में कितनी शालीनता, संस्कार, भाषागत सौष्ठव हमें प्राप्त है, इस पर विस्तृत विवेचन है। अतीत के विशाल चित्रफलक पर पचास वर्षों के लम्बे समय तक उनका साहित्य जगत पर एकच्छत्र एकाधिकार निःसन्देह गौरव का विषय है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 146p
Price ₹350.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Nandulare Vajpeyi

Author: Nandulare Vajpeyi

नन्ददुलारे वाजपेयी

नन्ददुलारे वाजपेयी का जन्म 4 सितम्बर, 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्‍नाव जिले के मगरायर में हुआ था।  उन्होंने काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय से 1929 में हिन्दी में एम.ए. की उपाधि सर्वोच्‍च अंकों के साथ प्राप्‍त की। 1930 में वे अर्द्ध-साप्‍ताहिक भारत के सम्पादक होकर प्रयाग आए, जहाँ 1932 तक कार्यरत थे। व्यवस्‍थापकों के साथ सैद्धान्तिक मतभेदों के कारण वे भारत से अधिक समय तक जुड़े नहीं रहे। पुनः काशी आ गए और काशी नागरी प्रचारिणी सभा में सूरसागर का सम्पादन करने लगे। इसके बाद गोरखपुर में रहकर रामचरितमानस का सम्पादन भी उन्होंने किया। 1941 में वे काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय में अध्‍यापक पद पर नियुक्‍त हुए। 1947 में सागर विश्‍वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्‍यक्ष बने। 1965 तक इसी पद पर कार्यरत रहते हुए वे विक्रम विश्‍वविद्यालय, उज्‍जैन में कुलपति पद पर नियुक्‍त हुए। वे कुछ समय तक हिन्दी की प्रति‌‌ष्ठित पत्रिका आलोचना के सम्पादक भी रहे।
उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—जयशंकर प्रसाद, हिन्दी 
साहित्य : बीसवीं शताब्दी, आधुनिक साहित्य, कवि निराला, महाकवि सूरदास, प्रेमचन्‍द : एक साहित्यिक विवेचन, नया साहित्य : नए प्रश्‍न, नयी कविता, आधुनिक काव्य : रचना और विचार, कवि सुमित्रानन्दन पन्त, हिन्दी साहित्य का आधुनिक युग आदि ।
21 अगस्‍त, 1967 को उनका निधन हुआ।

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