Ishwar, Swatantrata Aur Amaratva

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Ishwar, Swatantrata Aur Amaratva

‘ज्ञान दर्शन’ व ‘तर्कशास्त्र : एक आधुनिक परिचय’ के बाद लेखकद्वय की यह तीसरी पुस्तक है। इसकी विषय-वस्तु तत्त्वदर्शन या तत्त्वमीमांसा की कुछ पारम्परिक समस्याएँ हैं, जिनकी विशद विवेचना दर्शन के विद्यार्थियों तथा साधारण जन, दोनों के लिए रुचिकर हो सकती है।

लेखकद्वय की यह चेष्टा रही है कि दुरूह व गूढ़ दार्शनिक चिन्तन को सहज-सरल ढंग से प्रस्तुत किया जाए। इसीलिए उन्होंने अपनी सभी पुस्तकों का लेखन ऐसी हिन्दी भाषा में किया है। आशा है, यह पुस्तक तत्त्वदार्शनिक विचारों की सूचना देने के साथ ही मौलिक विचारों को भी प्रोत्साहित करेगी। इस पुस्तक की विषय-सामग्री दर्शन के विद्यार्थी के साथ-साथ आमजन के लिए भी रोचक हो सकती है और इसके अध्ययन से सम्भवत: उनको अपनी कुछ समस्याओं के प्रति एक अन्तर्दृष्टि प्राप्त हो सकेगी।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 394p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2.5
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Author: Shyam Kishor Seth

श्याम किशोर सेठ


जन्म-स्थान : मिर्जापुर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए, और एम.ए. की डिग्री प्राप्त करके सन् 1954 में यहीं पर दर्शन विभाग में प्रवक्ता नियुक्त हुए। 35 वर्ष से अधिक अध्यापन कार्य के बाद सन् 1990 में सेवानिवृत्त हुए। तर्कशास्‍त्र, ज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र तथा धर्मदर्शन इनकी अभिरुचि के विशेष क्षेत्र रहे हैं। इनके निर्देशन में कई विद्यार्थी डी.फिल. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और कुछ अभी शोधकार्य में संलग्न हैं।
'विभिन्न दर्शनिक समस्याओं पर श्री सेठ ने अनेक लेख लिखे हैं जो हिन्‍दी व अंग्रेज़ी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। आकाशवाणी से भी दर्शन सम्बन्धी इनकी कुछ वार्ताएँ प्रसारित हुईं। आपने डॉ. नीलिमा मिश्र के साथ 'ज्ञान-दर्शन 'Philosophy of Knowledge', 'तर्कशास्‍त्र—एक आधुनिक परिचय’ एवं ‘ईश्वर, स्वतंत्रता और अमरत्व : एक तत्‍त्‍वदार्शनिक अध्ययन' नामक तीन पुस्तकों का लेखन भी किया है।
श्री सेठ 'इंडियन फ़‍िलॉसॉफ़‍िकल कांग्रेस और 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद' के आजीवन सदस्य हैं और वे 1999 में 'उत्तर भारत दर्शन परिषद' के गोरखपुर अधिवेशन के अध्यक्ष थे।

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