Gyan-Darshan

Edition: 2000, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Gyan-Darshan

इस पुस्तक में ज्ञान सम्बन्धी दार्शनिक समस्याओं का एक प्रारम्भिक विवेचन प्रस्तुत किया गया है। ज्ञान, सत्, और मूल्य-दर्शन के प्रमुख विषय-क्षेत्र माने गए हैं और इसमें सन्देह नहीं कि इनमें ज्ञान एक आधारभूत स्थान रखता है जिसके प्रश्नों के उत्तर सत् और मूल्य सम्बन्धी प्रश्नों पर भी प्रकाश डालते हैं। दर्शन विभिन्न सूचनाओं का समूह न होकर सोचने या तर्क-वितर्क करने की प्रक्रिया है। इसीलिए इस पुस्तक में यह प्रयत्न किया गया है कि दार्शनिक प्रश्न और उनके हल के प्रयत्न उसी रूप में प्रस्तुत किए जाएँ, न कि विभिन्न दार्शनिकों द्वारा प्रतिपादित अन्तिम सिद्धान्तों के रूप में।

इस पुस्तक की रुचि दर्शन के इतिहास में न होकर उस विचार या तर्क में है जिसके द्वारा समस्याओं के समाधान की तलाश होती है और जो दर्शन का सार तत्त्व है। अत: प्रस्तुत लेखन का यह उद्देश्य रहा है कि पाठकों को केवल विभिन्न दार्शनिक विचारों का मात्र संग्रह करने की नहीं, बल्कि स्वतंत्र चिन्तन की प्रेरणा मिले। स्पष्ट है कि ऐसे चिन्तन एवं उसकी अभिव्यक्ति के लिए अपनी मातृभाषा ही सबसे उपयुक्त साधन है। क्योंकि विचारों की स्पष्ट समझ और सृजनशीलता का आदर्श प्राप्त करना उसी दशा में सम्भव है। आशा है कि प्रस्तुत ग्रन्थ का इस दिशा में अच्छा योगदान होगा।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2000
Edition Year 2000, Ed. 1st
Pages 319p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Shyam Kishor Seth

श्याम किशोर सेठ


जन्म-स्थान : मिर्जापुर। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए, और एम.ए. की डिग्री प्राप्त करके सन् 1954 में यहीं पर दर्शन विभाग में प्रवक्ता नियुक्त हुए। 35 वर्ष से अधिक अध्यापन कार्य के बाद सन् 1990 में सेवानिवृत्त हुए। तर्कशास्‍त्र, ज्ञानमीमांसा, नीतिशास्त्र तथा धर्मदर्शन इनकी अभिरुचि के विशेष क्षेत्र रहे हैं। इनके निर्देशन में कई विद्यार्थी डी.फिल. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं और कुछ अभी शोधकार्य में संलग्न हैं।
'विभिन्न दर्शनिक समस्याओं पर श्री सेठ ने अनेक लेख लिखे हैं जो हिन्‍दी व अंग्रेज़ी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। आकाशवाणी से भी दर्शन सम्बन्धी इनकी कुछ वार्ताएँ प्रसारित हुईं। आपने डॉ. नीलिमा मिश्र के साथ 'ज्ञान-दर्शन 'Philosophy of Knowledge', 'तर्कशास्‍त्र—एक आधुनिक परिचय’ एवं ‘ईश्वर, स्वतंत्रता और अमरत्व : एक तत्‍त्‍वदार्शनिक अध्ययन' नामक तीन पुस्तकों का लेखन भी किया है।
श्री सेठ 'इंडियन फ़‍िलॉसॉफ़‍िकल कांग्रेस और 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद' के आजीवन सदस्य हैं और वे 1999 में 'उत्तर भारत दर्शन परिषद' के गोरखपुर अधिवेशन के अध्यक्ष थे।

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