...ईशावास्योपनिषद् अपने लघु कलेवर में अर्थ का विस्तृत आकाश समेटे हुए है।...सन्तों का आश्वासन है कि गुरु कृपा से पिपीलिका भी विहंगम मार्ग की अधिकारिणी हो जाती है। ईशावास्य को प्रवचन-यात्रा के प्रतिपाद में मुझे अपने गुरु ब्रह्मीभूत स्वामी अखंडानन्द सरस्वती की कृपा के सम्बल का अनुभव होता रहा, तभी तो यह वाचिक परिक्रमा पूरी हो सकी।...इस पुस्तक में जो भी है, वह गुरु जी की तथा शंकर, रामानुज, विनोबा सदृश अन्य पूर्वाचार्यों की कृपा का सुफल है...।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 280p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Gyan Aur Karm
Your Rating
Vishnukant Shastri

Author: Vishnukant Shastri

विष्णुकान्त शास्त्री

जन्म : 2 मई, 1929; कलकत्ता।
शिक्षा : एम.ए., एल-एल.बी.।
1953 से कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक। आचार्य के पद से मई 1994 को अवकाश ग्रहण।
प्रमुख कृतियाँ : ‘कवि निराला की वेदना तथा अन्य निबन्ध’, ‘कुछ चन्दन की कुछ कपूर की’, ‘चिन्तन मुद्रा’, ‘अनुचिन्तन’ (साहित्य समीक्षा); ‘तुलसी के हिय हेरि’ (तुलसी केन्द्रित निबन्ध); ‘बांग्लादेश के सन्दर्भ में’ (रिपोर्ताज); ‘स्मरण को पाथेय बनने दो’, ‘सुधियाँ उस चन्दन के वन की’ (संस्मरण एवं यात्रा वृत्तान्त); ‘अनन्त पथ के यात्री : धर्मवीर भारती’, ‘भक्ति और शरणागति’ (विवेचन); ‘शान और कर्म’ (ईशावास्य प्रवचन); ‘जीवन पथ पर चलते-चलते’ (काव्य)।
देश-विदेश की विविध साहित्यिक संस्थाओं में व्याख्यान, विविध साहित्यिक सम्मानों एवं पुरस्कारों से समादृत। 1944 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सम्बद्ध, 1977 से सक्रिय राजनीति में प्रवेश। ‘जनता पार्टी’ के सदस्य के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा में विधायक (1977-1982); प. बंगाल प्रदेश भाजपा के दो बार अध्यक्ष, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष (1988-1993); संसद सदस्य-राज्यसभा (1992 से 1998); 2 दिसम्बर, 1999 को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल नियुक्त, 24 नवम्बर, 2000 से उत्तर प्रदेश के राज्यपाल।
निधन : 17 अप्रैल, 2005

Read More
Books by this Author
Back to Top