Geysers

Author: Vertul Singh
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Geysers
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रज़ा के व्यक्तिगत संग्रह से—पत्राचार में रज़ा—प्रस्तुत किया जा रहा है। यह संकलन मुख्य रूप से उस दौर से सम्बन्धित है जब भारत में आधुनिक कला आन्दोलन सक्रिय होकर एक आकार ले रहा था, और रज़ा और उनके मित्र यानी हुसेन, सूज़ा, बाकरे, बाल छाबड़ा, अकबर पदमसी, रामकुमार, तैयब मेहता, गायतोण्डे, परम्परा के पुनरुत्थान के इस ऐतिहासिक संघर्ष में शामिल थे जहाँ वे, उस अधिकांशत: भारतीय आधुनिकतावाद की रचना कर रहे थे जोकि दर्शन और शैली की बहुलता में निहित था और जिसमें आलोचनीयता तथा ग्रहणशीलता दोनों का समावेश था। वे एक-दूसरे से पत्रों के द्वारा अपने व्यक्तिगत मुद्दों के साथ-साथ उस सौन्दर्यशास्त्र पर भी चर्चा किया करते जिसे वे व्यक्त करने का प्रयास कर रहे थे। वे अपने हर्ष, चिन्ता तथा सरोकारों का साझा करते, और यदाकदा वित्त और आवास भी। वे एक-दूसरे के प्रयासों तथा समस्याओं, सफलताओं और असफलताओं के प्रशंसक थे तथा कभी-कभी एक-दूसरे के प्रति सहज तथा निष्पक्ष विचारों को भी व्यक्त करने में संकोच नहीं करते। इन पत्रों के माध्यम से हम उस दौर के एक बेहद अन्तरंग स्वगत ख़ाका और साथ ही एक वैयक्तिक प्रक्षेपवक्र को भी चित्रित कर सकते हैं जो इन कलाकार मित्रों और कामरेड्स ने उकेरा।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 1st
Pages 192p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Author: Vertul Singh

वर्तुल सिंह


उपन्यास एक गूना बेख़ुदी, कहानी सितारों में डालती हूँ कमन्‍द, बफलियाज़ की कनीज़ तथा चर्चित पुस्तक भोपालनामा के लेखक वर्तुल सिंह का जन्म बनारस में हुआ। पेशे से वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वर्तुल सिंह की शुरू से ही गहरी रुचि सिनेमा, साहित्य, संस्कृति और संगीत में रही है। आपने मार्ख़ेज़ की नाबो  का अनुवाद भी किया। दर्जनों आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। टीवी के लिए कुछ पौराणिक धारावाहिकों के संवाद भी लिखे। इसी कड़ी में आपके द्वारा प्रस्तुत है सैयद हैदर रज़ा तथा उनके आत्मीय मित्रों के पत्रों की पुस्तक ‘गीज़र्स’ का हिन्दी अनुवाद।

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