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Fidel Kastro-Paper Back

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क्यूबा की क्रान्ति का पैरा-दर-पैरा इतिहास बतानेवाली इस पुस्तक के केन्द्र में फ़िदेल कास्त्रो का जीवन है। वही फ़िदेल कास्त्रो जो आज पूरी दुनिया में साम्राज्यवाद-विरोध का प्रतीक बन चुके हैं।

मात्र पच्चीस वर्ष की आयु में मुट्ठी-भर साथियों को लेकर और बिना किसी बाहरी मदद के फ़िदेल कास्त्रो ने क्यूबा के तानाशाह बतिस्ता और उसके पोषक अमेरिकी साम्राज्यवाद को सदा-सदा के लिए क्यूबा से विदा कर दिया था। क्यूबा के शोषित-पीड़ित किसानों, मज़दूरों को क्रान्तिकारी योद्धाओं में बदलने वाले और अपने देश को सामाजिक न्याय के सिद्धान्तों पर एक बेहतर राष्ट्र के रूप में विकसित करनेवाले फ़िदेल कास्त्रो ने अन्तरराष्ट्रीयता की नई परिभाषाएँ गढ़ीं और समूची दुनिया को हर तरह की विषमता से मुक्त करने का एक बड़ा सपना देखा। आज इस सपने को विश्व का हर वह इनसान अपने दिल के क़रीब महसूस करता है जो इस दुनिया को मनुष्य के भविष्य के लिए एक सुरक्षित आवास में बदलना चाहता है।

लेखक के व्यापक शोध और गहरी प्रतिबद्धता से उपजी यह पुस्तक न सिर्फ़ फ़िदेल के जीवन, बल्कि क्यूबा तथा शेष विश्व की उन राजनीतिक-आर्थिक परिस्थितियों का भी तथ्याधारित विवरण देती है जिसके बीच फ़िदेल का उद्भव हुआ और क्यूबा-क्रान्ति सम्भव हुई। साथ ही इसमें क्रान्ति की प्रेरक उस विचार-निधि को भी पर्याप्त स्थान दिया गया है जिसके कारण फ़िदेल का सपना, पहले क्यूबा और फिर दुनिया के हर न्यायप्रिय व्यक्ति का संकल्प बना।

इस पुस्तक में हमें फ़िदेल के सबसे भरोसेमन्द साथी चे गुएवारा को भी काफ़ी नज़दीक से जानने का मौक़ा मिलता है जिनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य दुनिया में जहाँ भी साम्राज्यवाद है, उसके विरुद्ध संघर्ष करना था, और अल्प आयु में ही जीवन बलिदान करने के बावजूद जो आज हर जागरूक युवा हृदय में जीवित हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2014
Edition Year 2024, Ed 3rd
Pages 412p
Price ₹499.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2.5
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V.K. Singh

Author: V.K. Singh

वी.के. सिंह

जन्म : 15 मई 1950, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र, एल.एल.बी.।

1971 से भारतीय जीवन बीमा निगम में सेवा प्रारम्भ। मई 2010 में प्रबन्धक (ग्रा.सं./केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी) पद से सेवानिवृत्त। प्रारम्भ से ही ट्रेड यूनियन आन्दोलन और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से जुड़ाव। समय के साथ-साथ विचारधारा ने जीवन-मूल्यों और विश्वदृष्टि को परिपक्व किया। उद्योग के ट्रेड यूनियन नेतृत्व में विभिन्न भूमिकाओं के निर्वहन के साथ ज़‍िला श्रमिक समन्वय समितियों के गठन और युवा व किसान आन्दोलनों में निरन्तर सक्रियता। निगम की प्रथम श्रेणी अधिकारी फ़ेडरेशन के राष्ट्रीय सांगठनिक सचिव और राष्ट्रीय मुखपत्र 'आवर वॉयस’ का सम्पादन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सांस्कृतिक-राजनीतिक सरोकारों पर लेखन के अतिरिक्त कविता, अनुवाद, नाट्य-रूपान्तरों और नुक्कड़ नाटकों का लेखन और मंचन। वाराणसी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संघर्षरत युवा कलाकारों को लेकर साझा जीवन और सृजन का प्रयोगधर्मी प्रयास 'कला कम्यून’ जिसके अन्तर्गत लगभग 20 युवा चित्रकार, मूर्तिकार और संगीतकार छात्र एक छत के नीचे अपनी कला सर्जना और वैचारिक प्रतिबद्धता को साझा करते हुए सृजनरत रहे और अपनी सर्जना को जन-जीवन के निकट लाने के लिए बतौर काशी के अस्सी घाट पर प्रत्येक वर्ष विभिन्न कला विधाओं का तीन दिवसीय कला महोत्सव 'उम्मीदें’ मनाते रहे।

सेवानिवृत्ति के बाद नये मनुष्य और उसके जीवन मूल्यों की सर्जना के लिए नवउदारवादी, साम्राज्यवादी विश्वदृष्टि को चुनौती देनेवाले क्रान्तिकारी महानायकों के व्यक्तित्व और कृतित्व को हिन्दीभाषी पाठकों के लिए उपलब्ध कराने का संकल्प। लेखन के साथ सम्प्रति समाज और स्त्री-विमर्श को जानने और समझने के प्रयास में 'इग्नू’ से जेंडर और विकास स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत।

 

 

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