Che Guevara : Ek Jeevani

Author: V.K. Singh
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Che Guevara : Ek Jeevani
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चे को किसी ‘महामानव’ या ‘मसीहा’ के नज़रिए से नहीं देखा जाना चाहिए। चे अपनी कमियों, अच्छाइयों, शक्तियों, कमज़ोरियों के साथ पूरी सम्पूर्णता में उस समाज के मनुष्य का, जिसमें मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण का न तो अस्तित्व हो और न ही सम्भावना, प्रतिनिधित्व करते हैं। इस महागाथा के सात सोपान हैं ‘बचपन के दिन’ में अर्जेन्टीना के उस ज़माने के सामाजिक-राजनीतिक परिवेश में एक ह्रासमान बुर्जुआ अभिजात परिवार में जन्म लेने से लेकर किशोरावस्था को पार करते हुए जवानी की दहलीज़ तक पहुँचने की दास्तान है। ‘उत्तर की खोज में दक्षिण की राह’ अपने से काफ़ी बड़ी उम्र के मित्र के साथ खटारा मोटरसाइकिल पर दुनिया-जहान को देखने-समझने निकल पड़ी जवानी की दहलीज़ चढ़ते एक किशोर की कहानी है। ‘एक बार फिर सडक़ पर’ मार्क्सवादी साहित्य के अध्येता नौजवान की डॉक्टरी पढ़ाई पूरी कर लेने के बाद अपनी ख़ुद की तलाश में एक बार फिर निकल पड़ने की कहानी है। ‘क्यूबा क्रान्ति की दास्तान’ गुरिल्ला दस्ते के डॉक्टर से गुरिल्ला लड़ाका, गुरिल्ला सेना कमांडेंट, क्यूबा क्रान्ति के विजयी कमांडर और समाजवादी क्यूबाई समाज के नवनिर्माण की मुहिम के सबसे दक्ष नायक बनने की कहानी है। ‘क्रान्तिकारी अन्तरराष्ट्रीयता के कार्यभार’ एक बार फिर चे को सब कुछ छोडक़र अन्तरराष्ट्रीय मुक्ति-संघर्ष में लहू और बारूद की राह पकड़ने को मजबूर करते हैं। ‘शहादत की राह पर’ चे के बोलिवियाई अभियान के अद्भुत-अकल्पनीय शौर्य की दास्तान है। ‘उत्तरगाथा’ गिरफ़्तारी के बाद अमेरिकी-बोलिवियाई जल्लाद मंडली के हाथों चे की हत्या और उनके दुनिया के मुक्ति-संघर्ष के प्रतीक बन जाने की कहानी है।

चे के अनन्यतम साथी फिदेल ने बिलकुल सही कहा कि चे के बारे में जो कुछ कहा गया, लिखा गया और जो कुछ कहा जाएगा, लिखा जाएगा या जो कहा जा सकता है और लिखा जा सकता है, चे उससे कहीं बढ़कर है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 486p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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V.K. Singh

Author: V.K. Singh

वी.के. सिंह

जन्म : 15 मई 1950, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)।

शिक्षा : स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र, एल.एल.बी.।

1971 से भारतीय जीवन बीमा निगम में सेवा प्रारम्भ। मई 2010 में प्रबन्धक (ग्रा.सं./केन्द्रीय जनसूचना अधिकारी) पद से सेवानिवृत्त। प्रारम्भ से ही ट्रेड यूनियन आन्दोलन और मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से जुड़ाव। समय के साथ-साथ विचारधारा ने जीवन-मूल्यों और विश्वदृष्टि को परिपक्व किया। उद्योग के ट्रेड यूनियन नेतृत्व में विभिन्न भूमिकाओं के निर्वहन के साथ ज़‍िला श्रमिक समन्वय समितियों के गठन और युवा व किसान आन्दोलनों में निरन्तर सक्रियता। निगम की प्रथम श्रेणी अधिकारी फ़ेडरेशन के राष्ट्रीय सांगठनिक सचिव और राष्ट्रीय मुखपत्र 'आवर वॉयस’ का सम्पादन। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में सांस्कृतिक-राजनीतिक सरोकारों पर लेखन के अतिरिक्त कविता, अनुवाद, नाट्य-रूपान्तरों और नुक्कड़ नाटकों का लेखन और मंचन। वाराणसी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संघर्षरत युवा कलाकारों को लेकर साझा जीवन और सृजन का प्रयोगधर्मी प्रयास 'कला कम्यून’ जिसके अन्तर्गत लगभग 20 युवा चित्रकार, मूर्तिकार और संगीतकार छात्र एक छत के नीचे अपनी कला सर्जना और वैचारिक प्रतिबद्धता को साझा करते हुए सृजनरत रहे और अपनी सर्जना को जन-जीवन के निकट लाने के लिए बतौर काशी के अस्सी घाट पर प्रत्येक वर्ष विभिन्न कला विधाओं का तीन दिवसीय कला महोत्सव 'उम्मीदें’ मनाते रहे।

सेवानिवृत्ति के बाद नये मनुष्य और उसके जीवन मूल्यों की सर्जना के लिए नवउदारवादी, साम्राज्यवादी विश्वदृष्टि को चुनौती देनेवाले क्रान्तिकारी महानायकों के व्यक्तित्व और कृतित्व को हिन्दीभाषी पाठकों के लिए उपलब्ध कराने का संकल्प। लेखन के साथ सम्प्रति समाज और स्त्री-विमर्श को जानने और समझने के प्रयास में 'इग्नू’ से जेंडर और विकास स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में अध्ययनरत।

 

 

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