Ek Shamsher Bhi Hai

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Author: Doodhnath Singh
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Ek Shamsher Bhi Hai
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‘शमशेर बहादुर उन कवियों में रहे जो लगातार अपनी कविता के प्रति सजग और समर्पित भी रहे। राजनीति की दृष्टि से बहुत ज़्यादा सक्रिय तो वह नहीं रहे और एक उनकी कविता में निहित मूल्य-दृष्टि में और उनकी घोषित राजनीति में, राजनीतिक दृष्टि में लगातार एक विरोध भी रहा। वह प्रगतिवादी आन्दोलन के साथ रहे लेकिन उसके सिद्धान्तों का प्रतिपादन करनेवाले कभी नहीं रहे। उन सिद्धान्तों में उनका पूरा विश्वास भी कभी नहीं रहा। उन्होंने मान लिया कि हम इस आन्दोलन के साथ हैं, और स्वयं उनकी कविता है, उसका जो बुनियादी संवेदन है, वह लगातार उसके बाहर और उसके विरुद्ध भी जाता रहा। वह शायद एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, उनके जीवन का, उनके कवि का विकास इस तरह से हुआ। पहले वह चित्रकार थे या उन्होंने दीक्षा चित्रकर्म में ली।’ उसमें भी लगातार उनकी दृष्टि बिम्बवादी-दृष्टि रही और काव्य में उनका बल इस पक्ष पर रहा। उनके प्रिय कवि भी ऐसे ही रहे हैं। इससे कभी मुक्त होना न उन्होंने चाहा, न वह हुए। हम चाहें तो उन्हें रूमानी और बिम्बवादी कवि भी कह सकते हैं, कभी इसके बाहर वह नहीं गए। मेरा ख़याल है कि उनके चित्रों और उनकी कविताओं में बराबर सम्बन्ध रहा है। और उस स्तर को उनके घोषित राजनीति विश्वास ने कभी छुआ ही नहीं। अगर उनसे पूछा जाता कि आप राजनीति में किस दल के साथ हैं, तो वह कहते कि मैं प्रगतिवादियों के साथ हूँ। अब आप इसका जो अर्थ चाहें लगा सकते हैं। इसे विभाजित व्यक्तित्व मैं तब कहता जबकि उनकी चेतना में उसका असर होता। उसमें भी दो खंड हो जाते। वैसा शायद हुआ नहीं। शमशेर तो पहली बार वहाँ (‘तार-सप्तक’ में) रखे भी गए थे, फिर उनको दूसरे के लिए रख लिया गया, क्योंकि उनकी कविताएँ बहुत कम मिल पाई थीं। दो-एक पेटियाँ भरकर कविताएँ तो उनके पास पड़ी होंगी, लेकिन ख़ुद उनको अपनी ख़बर नहीं थी। जब यह काम हुआ तो उन्हें लाया जा सका।

—अज्ञेय

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 311p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Editorial Review

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Doodhnath Singh

Author: Doodhnath Singh

दूधनाथ सिंह

जन्म : 17 अक्टूबर, 1936; उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के एक छोटे-से गाँव सोबन्धा में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

कुछ दिनों (1960-62) तक कलकत्ता में अध्यापन। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग में।

लेखन की शुरुआत सन् 1960 के आसपास।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘आख़िरी कलाम’, ‘निष्कासन’ (उपन्यास); ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘सुखान्त’, ‘प्रेमकथा का अन्त न कोई’, ‘माई का शोकगीत’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘तू फ़ू’ (कहानी-संग्रह); ‘कथा समग्र’ (सम्पूर्ण कहानियाँ); ‘नमो अंधकारं’ (आख्यान); ‘यमगाथा’ (नाटक); ‘अपनी शताब्दी के नाम’, ‘एक और भी आदमी है’,  ‘तुम्हारे लिए’, ‘युवा ख़ुशबू’, ‘एक अनाम कवि की कविताएँ’ (प्रस्तुति)(कविता-संग्रह); ‘सुरंग से लौटते हुए’ (लम्बी कविता); ‘निराला : आत्महन्ता आस्था’ (निराला की कविताओं पर एक सम्पूर्ण किताब); ‘लौट आ, ओ धार!’ (संस्मरण); ‘कहा-सुनी’ (साक्षात्कार और आलोचना); ‘महादेवी’ (महादेवी की सम्पूर्ण रचनाओं पर एक किताब)।

सम्पादन : ‘तारापथ’ (सुमित्रानन्दन पंत की कविताओं का संचयन), ‘दो शरण’ (निराला की भक्ति कविताओं का संचयन), ‘भुवनेश्वर समग्र’, ‘एक शमशेर भी है’, ‘चार यार : आठ कहानियाँ’।

अनुवाद : अंग्रेज़ी, जर्मन, मराठी, मलयालम, पंजाबी, गुजराती तथा बांग्ला भाषाओं में कहानियों, उपन्यासों तथा नाटकों का अनुवाद।

निधन: 12 जनवरी, 2018

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