Jalmurgiyon ka shikar

Author: Doodhnath Singh
Edition: 2018, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Jalmurgiyon ka shikar
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हिन्दी कथा-साहित्य में दूधनाथ सिंह ने इतिहास और यथार्थ से टकराते हुए समाज, सत्ता और संस्कृति के बीच निम्न व मध्यवर्गीय अन्तर्गुम्फन को तलछट पर देखने और रचने का जो कलम-कार्य किया, उसे आज भी दूर से देखा और पढ़ा जा सकता है—एक सच की तरह, एक सबूत की तरह...और एक विकल्प की तरह।

यह कथा-संग्रह 'जलमुर्गियों का शिकार’ भारतीय पृष्ठभूमि में कथ्य की वह यात्रा है, जहाँ दु:ख अपनी प्रक्रिया में चौंकाने के बजाय उद्वेलित करता है; सुख सँजोने के बजाय भ्रम तोड़ता है; और संघर्ष सदियों के 'अवशेषों’ को देखने की वह दृष्टि देता है, जिससे हो कोई, नि:शब्द नहीं रह जाता। कथा में कला की ऐसी भूमिका दूधनाथ सिंह के यहाँ है और यह विरल है।

इस संग्रह से गुज़रते पाठक यह भी अनुभव करेंगे कि दूधनाथ सिंह अपने भाष्य में उन पात्रों या मनुष्यों का सृजन करते हैं, जिनके बिना कोई कथा तो सम्भव है, कोई मुक्ति सम्भव नहीं। दूधनाथ सिंह के लिए लेखन मुक्ति-सृजन के लिए मनुष्य-सृजन का लेखन है।

उनका यह कथा-संग्रह अपने कथ्य की भाषा में हमारी संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का एक दुर्लभ दस्तावेज़ जैसा है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2018, Ed. 2nd
Pages 128
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Doodhnath Singh

Author: Doodhnath Singh

दूधनाथ सिंह

जन्म : 17 अक्टूबर, 1936; उत्तर प्रदेश के बलिया ज़िले के एक छोटे-से गाँव सोबन्धा में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

कुछ दिनों (1960-62) तक कलकत्ता में अध्यापन। फिर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, हिन्दी विभाग में।

लेखन की शुरुआत सन् 1960 के आसपास।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘आख़िरी कलाम’, ‘निष्कासन’ (उपन्यास); ‘सपाट चेहरे वाला आदमी’, ‘सुखान्त’, ‘प्रेमकथा का अन्त न कोई’, ‘माई का शोकगीत’, ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे’, ‘तू फ़ू’ (कहानी-संग्रह); ‘कथा समग्र’ (सम्पूर्ण कहानियाँ); ‘नमो अंधकारं’ (आख्यान); ‘यमगाथा’ (नाटक); ‘अपनी शताब्दी के नाम’, ‘एक और भी आदमी है’,  ‘तुम्हारे लिए’, ‘युवा ख़ुशबू’, ‘एक अनाम कवि की कविताएँ’ (प्रस्तुति)(कविता-संग्रह); ‘सुरंग से लौटते हुए’ (लम्बी कविता); ‘निराला : आत्महन्ता आस्था’ (निराला की कविताओं पर एक सम्पूर्ण किताब); ‘लौट आ, ओ धार!’ (संस्मरण); ‘कहा-सुनी’ (साक्षात्कार और आलोचना); ‘महादेवी’ (महादेवी की सम्पूर्ण रचनाओं पर एक किताब)।

सम्पादन : ‘तारापथ’ (सुमित्रानन्दन पंत की कविताओं का संचयन), ‘दो शरण’ (निराला की भक्ति कविताओं का संचयन), ‘भुवनेश्वर समग्र’, ‘एक शमशेर भी है’, ‘चार यार : आठ कहानियाँ’।

अनुवाद : अंग्रेज़ी, जर्मन, मराठी, मलयालम, पंजाबी, गुजराती तथा बांग्ला भाषाओं में कहानियों, उपन्यासों तथा नाटकों का अनुवाद।

निधन: 12 जनवरी, 2018

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