Dilli Mein Neend

Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Dilli Mein Neend
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उमा शंकर चौधरी लम्बी कहानियों के सिद्धहस्त लेखक हैं। उनकी कहानियाँ आपको मदमस्त नहीं करतीं, बल्कि परेशान करती हैं। आप उनसे भागना भी चाहते हैं लेकिन एक तत्त्व है लेखक में कि वह जीवन की सही सच्चाइयाँ पकड़ लेता है। लेखक के पास छोटी-छोटी चीज़ों के लम्बे-लम्बे वृत्तान्त हैं। इतने कि कई बार आपको ऊब होने लगती है। लेकिन यही लेखक की सूक्ष्म निरीक्षण-क्षमता है। ‘दिल्ली में नींद’ संग्रह की तमाम कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं। चाहे वह राजेश्वर सिंह की कहानी हो या फुच्चु मास्साब की या सुनानी की; एक गहरी पीड़ा इन सब में है। उनकी कहानियाँ सपाट नहीं हैं। वे यथार्थ के भीतर जाती हैं और कई बार उसका अतिक्रमण करती हैं। इसके लिए कई बार वे जादुई यथार्थवाद का भी इस्तेमाल करते हैं। उनके सरोकार स्पष्ट हैं और उसमें कोई फाँक नहीं है। इस संग्रह की कहानियाँ सामन्ती समाज के अन्तर्विरोधों की कहानियाँ हैं तो इनमें उदारीकरण के बाद के शहरी समाज की निम्नमध्यवर्गीय पीड़ा भी है। आम आदमी के दु:ख-दर्द उमा शंकर की कहानियों की ख़ास विशेषता है और यही उन्हें अपनी पीढ़ी में सबसे अलग करती है।   

—शशिभूषण द्विवेदी

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Uma Shankar Choudhary

Author: Uma Shankar Choudhary

उमा शंकर चौधरी               

चर्चित लेखक उमा शंकर चौधरी कविताएँ और कथा में समान रूप से लेखन कर रहे हैं। अभी तक तीन कविता-संग्रह हैं— ‘कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे’, ‘वे तुमसे पूछेंगे डर का रंग’ और ‘चूँकि सवाल कभी ख़त्म नहीं होते’; दो कहानी-संग्रह—‘अयोध्या बाबू सनक गए हैं’ और ‘कट टु दिल्ली और अन्य कहानियाँ’। यह तीसरा कहानी-संग्रह—‘दिल्ली में नींद’; उपन्यास—‘अँधेरा कोना’। आलोचना की भी दो-तीन पुस्तकें हैं। कविताओं, कहानियों का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। कविता-संग्रह ‘कहते हैं तब शहंशाह सो रहे थे’ का मराठी अनुवाद साहित्य अकादेमी से ‘म्हणे तव्हा राजाधिराज झोपेत होते’ शीर्षक से प्रकाशित है। कुछ कविताएँ भारत के अलग-अलग विश्वविद्यालयों के स्नातक-स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों का हिस्सा हैं। कहानियों और कविताओं पर कई विश्वविद्यालयों में शोध हुए और हो रहे हैं। हिन्दी कहानी के कई चुनिन्दा संकलनों में कहानियाँ शामिल हैं। साथ ही कई कहानियों का विभिन्न शहरों में नाट्य-मंचन भी हो चुका है।

‘साहित्य अकादेमी युवा सम्मान’, ‘भारतीय ज्ञानपीठ नवलेखन सम्मान’, ‘रमाकांत स्मृति कहानी पुरस्कार’ और ‘अंकुर मिश्र स्मृति कविता पुरस्कार’ जैसे महत्त्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित हैं।

सम्प्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय के एक महाविद्यालय में अध्यापनरत हैं। 

 

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