Chandrakanta (Santati) Ka Tilism

Author: Wagish Shukla
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chandrakanta (Santati) Ka Tilism
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कई बार क्लैसिक कृतियाँ भी आलोचनात्मक ध्यान में गहनता से नहीं आतीं, भले उनकी लोकप्रियता व्यापक और असंदिग्ध हो। 'चन्द्रकान्ता’ और 'चन्द्रकान्ता सन्तति’ ऐसे ही क्लैसिक हैं जिन पर आलोचना और अनुसन्धान का ध्यान ख़ासी देर से, लगभग बीसवीं शताब्दी के अन्त पर, गया। गहरे विद्वान् और अनूठे आलोचक वागीश शुक्ल ने इस छोटी-सी पुस्तक में अध्यवसाय और सूक्ष्मता से इन दो कृतियों का विश्लेषण और आकलन किया है। रज़ा फ़ाउंडेशन उनकी 'मनमानी बातों’ को पुस्तकाकार प्रस्तुत करते हुए आश्वस्त है कि अब योग्य विचार और विश्लेषण की शुरुआत हो रही है।    

—अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 117p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Wagish Shukla

Author: Wagish Shukla

वागीश शुक्ल

वागीश शुक्ल (जन्म : 1946, उत्तर प्रदेश) हिन्दी के सबसे गहरे और तीक्ष्ण सिद्धान्तकार, आलोचक, अनुवादक और उपन्यासकार। दो पुस्तकें, 'शहंशाह के कपड़े कहाँ हैं’ और 'छन्द-छन्द पर कुमकुम’ प्रकाशित। पहली पुस्तक में साहित्य के अनेक मूलभूत प्रश्नों पर वैचारिक निबन्ध हैं। 'छन्द-छन्द पर कुमकुम’ निराला की सुदीर्घ कविता 'राम की शक्ति पूजा’ की अद्वितीय टीका है। आधुनिक समय में ऐसा कोई वैचारिक उद्यम किसी अन्य भारतीय लेखक ने इस स्तर का नहीं किया है। यह टीका निराला की इस महत्त्वाकांक्षी कविता को भारतीय साहित्य की देशी और मार्गी परम्परा के परिवेश में अवस्थित कर उसकी अर्थ समृद्धि को सहज उद्घाटित करती है। वागीश जी ने ग़ालिब के लगभग पूरे साहित्य की विस्तृत टीका लिख रखी है, जो आनेवाले वर्षों में प्रकाशित होगी। वे पिछले कुछ वर्षों से एक सुदीर्घ उपन्यास लिखने में लगे हैं जिसके कुछ अंश हिन्दी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। हिन्दी, संस्कृत, फ़ारसी और अंग्रेज़ी वाङ्मय के गहरे और गम्भीर अध्येता वागीश जी साहित्य अकादेमी की परियोजना, भारतीय काव्यशास्त्र का विश्वकोश, के मुख्य सहयोगी सम्पादक भी हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली से सेवा-निवृत्त होकर इन दिनों आप बस्ती (उत्तर प्रदेश) में रहते हैं।

 

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