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Agnileek Kee Aginkatha

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Agnileek Kee Aginkatha

हृषीकेश सुलभ ने लगभग 1975 से लेखन शुरू किया। उनके लगभग 40 वर्षों के परिश्रम, अनुभव, आस-पास की सामाजिक उथल-पुथल पर पैनी दृष्टि और उससे जुड़ा रचनाकार का दायित्वबोध आदि के बाद उपन्यास ‘अग्निलीक’ आया। आलोचक रचनाकार की उस मनःस्थिति की पड़ताल कर पाया है या करता है, जिसने इस रचना को जन्म दिया और जो पूरी रचना- प्रक्रिया में साथ चला या अपनी टिप्पणी रखते समय समीक्षक/आलोचक भी अपनी मनःस्थिति और मान्यताओं की कसौटी से निर्देशित हो जाता है? यह प्रश्न इसलिए कि इन समीक्षाओं के संकलन में एक ही शिल्प, शैली, ट्रीटमेंट, घटनाओं की प्रस्तुति, उनके विस्तार और उनके स्वरूप पर अलग-अलग और कभी-कभी परस्पर विरोधी राय/ऑब्ज़र्वेशन देखने को मिले हैं। यह संकलन, इसलिए, रचनाकार को आलोचकों की चिन्ता और समय-समय पर व्यक्त उनके निदेशों के सम्मान के बाद भी अपनी तपस्या, अपने अनुभव और स्वतःस्फूर्त पर सजग चेतना पर चलने का स्वर देता है।

ये आलेख ‘अग्निलीक’ उपन्यास को समझने और व्याख्यायित करने में सहायक तो हैं ही, उपन्यास ने ग्रामीण सामाजिक संरचना में होते जिन परिवर्तनों और उसके साथ-साथ स्थापित जिन वैचारिक जड़ताओं को कथा-सूत्र में पिरोया है, ये उसे और आगे ले जाते हैं। इसलिए इनका अध्ययन आवश्यक है। स्वतंत्रता-पूर्व और स्वतंत्रता-पश्चात गाँवों की विडम्बनाओं को इन समीक्षकों, आलोचकों ने इस उपन्यास के बहाने गम्भीरता से देखा-परखा और अभिव्यक्त किया है। इन आलेखों को समग्रता में देखना साहित्यिक उद्देश्य की पूर्ति करता है, यही कारण है कि इन्हें एक साथ रखकर प्रस्तुत करने की यह कोशिश की गई है। किसी रचना पर टिप्पणी सिर्फ़ उस रचना का भला या बुरा नहीं करती, यह उस विधा की समझ को भी विस्तार देती है। समीक्षाओं का यह संकलन इन्हीं उद्देश्यों से सामने रखा गया है।

—इस पुस्तक की भूमिका से­ 

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 208p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Author: Prakash Devkulish

प्रकाश देवकुलिश 

प्रकाश देवकुलिश का जन्म 1951 में भागलपुर, बिहार में हुआ। उन्होंने भागलपुर विश्वविद्यालय से लेजिस्लेटिव लॉ में स्नातक डिग्री और हिन्दी में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। वे प्रसार भारती के अधिकारी पद पर रहे।

उन्होंने आकाशवाणी से प्रसारित अखिल भारतीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पत्रिकाओं का सम्पादन किया। ‘संवेद’ के रेणु विशेषांक में सम्पादन सहयोगी रहे। उनकी कविताएँ, वैचारिक लेख, अनुवाद एवं समीक्षाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं।

दस कवियों के साझा संकलन ‘दस्तक-2’ में उनकी कविताएँ शामिल गईं। ‘असम्भव के विरुद्ध’ उनका बहुप्रशंसित कविता-संग्रह है।

सेवानिवृत्ति के बाद से स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। फिलहाल ‘सबलोग’ पत्रिका के संयुक्त सम्पादक है।

ई-मेल : shreeprakash.ss@gmail.com

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