Bhoo-Devta

Author: Keshav Reddi
Translator: J. L. Reddy
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Bhoo-Devta
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तेलगू साहित्य में एक वाद के रूप में दलितवाद के स्थापित होने से पहले से ही केशव रेड्डी की कथा-रचनाओं में दलितों की समस्याओं का मार्मिक चित्रण अभिव्यक्त है। प्रस्तुत उपन्यास ‘भू-देवता’ एक किसान की मृत्यु और उसके पुनरुत्थान की गाथा है। उस किसान के प्रयत्न से लेकर उसकी विफलता तक की, असुरक्षा से उन्माद तक की और उन्माद से मृत्यु तक की यात्रा का यहाँ अंकन है। ‘भू-देवता’ का कथाकाल 1950 है। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद जिस समय भारत नए सिरे से अपना स्वरूप गढ़ रहा था, उस समय की ये घटनाएँ हैं। लगभग 70 वर्ष पहले जिस प्रान्त में रोज़ ही अकाल तांडव करता रहता था, उस प्रान्त की दु:स्थिति का चित्रण केशव रेड्डी ने यहाँ बक्कि रेड्डी के माध्यम से किया है। ज़मीन और किसान का सम्बन्ध वही होता है जो मनुष्य और उसके प्राण का होता है। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि भूमिरहित किसान का जीवन कटी पतंग के समान होता है। भूमि को किसान से अलग करने पर हानि केवल किसान की ही नहीं होती, कृषि पर निर्भर बढ़ई, लोहार, राज-मज़दूर जैसे अनेक पेशों के लोगों की भी हानि होती है। यह समस्या भी केशव रेड्डी के इस उपन्यास में उभरकर आती है। राज्य खो गया, इस व्यथा से कोलंद रेड्डी और भूमि हाथ से छूट गई, इस व्यथा से बक्कि रेड्डी दोनों ही अन्तत: अपने प्राणत्याग करते हैं। निस्सन्देह किसानी जीवन की एक मार्मिक दास्तान है यह उपन्यास ‘भू-देवता’।

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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 95p
Translator J. L. Reddy
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Keshav Reddi

Author: Keshav Reddi

केशव रेड्डी

तेलगू के वरिष्ठ रचनाकार केशव रेड्डी (1946-2015) के उपन्यास ‘उसने जंगल को जीता’, ‘दागी तिकोन’, ‘सिटी ब्यूटीफुल’ आदि चर्चित हैं। अंग्रेज़ी तथा कई भारतीय भाषाओं में इनकी कृतियों के अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित हैं।

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