Bhartiya Rajniti Aur Samvidhan : Vikas, Vivad Aur Nidan

Author: Subhash Kashyap
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Bhartiya Rajniti Aur Samvidhan : Vikas, Vivad Aur Nidan

हिन्‍दी-भाषी समाज के लिए यह स्थिति दुखद है कि देश की ज्वलन्‍त समस्याओं का परिप्रेक्ष्य स्पष्ट करनेवाली गम्‍भीर और व्यवस्थित सामग्री का हिन्‍दी में आज भी घोर अभाव है। प्रख्यात संविधान-विद् और पूर्व संसदीय सचिव सुभाष काश्यप की यह किताब राजनीति को प्रस्थान बिन्‍दु बनाते हुए भ्रष्टाचार अपराधीकरण, जातिवाद और साम्‍प्रदायिकता आदि जैसे विषयों पर संविधान और संसद की भूमिकाओं का एक विकास-क्रम में खुलासा करती है। पुस्तक चार भागों में विभाजित है—‘स्वाधीनता की अर्द्धशती’, ‘भारत का संविधान’, ‘भारत की संसद’ और ‘राज्यों में विधानपालिका’। इसमें जहाँ एक ओर संविधान- निर्माण, संविधान की आत्मा और संसद की बहुआयामी भूमिका जैसे मूलभूत प्रश्नों का गहराई के साथ विवेचन हुआ है, वहीं कुछ बिलकुल ताज़ा मुद्‌दों; जैसे—न्यायिक सक्रियता, लोकपाल, दल-बदल, राज्यपालों की भूमिका, राष्ट्रपति शासन और अनुच्छेद  356, सदन-अध्यक्ष की भूमिका और संसदीय विशेषाधिकार आदि जैसे मुद्‌दों पर भी प्रकाश डाला गया है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 2016, Ed. 4th
Pages 224P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Subhash Kashyap

Author: Subhash Kashyap

डॉ. सुभाष काश्यप

जन्म : 10 मई, 1929

सुविख्यात संविधान विशेषज्ञ, संसदीय और राजनीतिक प्रबन्धन के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित सलाहकार, लोकसभा के पूर्व महासचिव।
‘पॉलिटिक्स इंडिया’ के मानद सम्पादक, सेंटर फ़ॉर पॉलिसी रिसर्च में मानद प्रोफ़ेसर तथा राष्ट्रीय जागृति संस्थान के अध्यक्ष। जाने-माने लेखक, हिन्दी और अंग्रेज़ी में लगभग 100 पुस्तकें प्रकाशित जिनमें से कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित तथा विभिन्न भाषाओं में अनूदित।
पुरस्कार : ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित, ‘मोतीलाल नेहरू पुरस्कार’, ‘विधि सेवा सम्मान’, ‘विदुर सम्मान’।
ई-मेल : sckashyap@gmail.com

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