Asia Ke Mahan Vaigyanik

आमतौर पर माना जाता है कि सभी वैज्ञानिक खोजें और आविष्कार आदि यूरोप की ही देन हैं। लेकिन यह धारणा पूरी तरह सही नहीं है, यह पुस्तक बताती है कि जिन सिद्धान्तों और जिज्ञासाओं को लेकर पश्चिमी दुनिया ने बाद में जाकर अनेक आविष्कार और खोजें कीं, उनका बीज एशिया में पहले ही पड़ चुका था, और उस सम्बन्ध में वैज्ञानिक अन्वेषण आरम्भ हो चुका था।
भारत, पाकिस्तान, अरब मुल्कों, जापान, श्रीलंका, चीन तथा इस्राइल आदि देशों के अस्सी से ज़्यादा वैज्ञानिकों के जीवन और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को सहज भाषा में संकलित कर प्रस्तुत करनेवाली यह पुस्तक चित्रों के साथ एशिया की समृद्ध वैज्ञानिक परम्परा को रेखांकित करती है।
प्राचीन तथा अर्वाचीन विज्ञान-पुरुषों के विषय में पूरी जानकारी देने के साथ पुस्तक में तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की तरफ़ भी संकेत किया गया है, ताकि पाठक एशिया की विज्ञान-चेतना को उसके सम्पूर्ण परिप्रेक्ष्य में समझ सकें।
पुस्तक में शामिल विस्तृत परिशिष्ट में विभिन्न चिकित्सा-पद्धतियों तथा चिकित्सकों की तथ्यात्मक जानकारी के अलावा, गणित के विकास की कालानुक्रमिक, विवरणिका तथा भारतीय गणित-ज्योतिष का विकास-क्रम भी दिया गया है, जिससे यह पुस्तक और भी मूल्यवान हो जाती है।
गुणाकर मुळे अपने जीवन-काल में जिन महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं में व्यस्त रहे, उनमें यह पुस्तक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है।
Language | Hindi |
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Format | Hard Back |
Publication Year | 2015 |
Edition Year | 2015, Ed. 1st |
Pages | 288p |
Translator | Not Selected |
Editor | Shanti Gunakar Muley |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 2 |
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