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Kabira Soi Peer Hai

Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Kabira Soi Peer Hai

मूलतः एक संवेदनशील कवि के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली प्रतिभा कटियार का यह पहला उपन्यास अपनी पठनीयता और अपने सरोकार दोनों वजहों से लगभग चकित करता है। उपन्यास एक कोचिंग सेंटर से शुरू होता है जहाँ अलग-अलग वर्गों के छात्र एक-सी महत्वाकांक्षा के साथ पहुँचते हैं। मगर वहाँ भी छात्रों की पसन्द-नापसन्द, उनकी मैत्री और उनके सम्बन्धों में एक स्पष्ट भेदभाव चला आता है। उपन्यास में ऐसे किरदार हैं जो इस भेदभाव को तोड़कर आगे बढ़ते हैं और बताते हैं कि दुनिया इन खानों से बड़ी है। जाहिर है, यह प्रेम और आपसी समझ के रसायन से बनी मनुष्यता है जो सामाजिक चाल-चलन पर भारी पड़ रही है। उपन्यास की नायिका दलित समाज से आती है और बचपन से ही देखती है कि उसकी प्रतिभा दूसरों की आँख का काँटा बनी हुई है। उसकी सफलता भी उसका अभिशाप है। जब उसे कोचिंग सेंटर में ऐसा दोस्त मिलता है जो बराबरी पर भरोसा करता है और उससे प्रेम करने लगता है तब वह कुछ बदलती दिखती है।

उपन्यास अगर इसी दिशा में बढ़कर एक सुखान्त पर खत्म हो जाता तो तो शायद वह बराबरी की कामना का एक रूमानी बयान होकर रह जाता। यहाँ लेखिका साबित करती हैं कि उनके लहजे में चाहे जितनी रूमानियत हो, यथार्थ की उनकी समझ बहुत खरी है। वे घर-परिवार और समाज के सारे पूर्वग्रह और पाखंड जैसे तार-तार कर देने पर तुली हैं। वे एक पल के लिए भी इस बात को ओझल नहीं होने देतीं कि यह समाज बहुधा कुछ लोगों के प्रति बहुत अमानुषिक व्यवहार करता है और अगर यह भी न हो तो अपनी उदारता के चरम लम्हों में भी वह उनके अवसर छीनने में कोई कोताही नहीं करता, कोई हिचक नहीं दिखाता। इसमें सन्देह नहीं कि यह उपन्यास एक साँस में पढ़ा जा सकता है, लेकिन उसके बाद जिस गहरी और लम्बी साँस की ज़रूरत पड़ती है, वह कहीं हलक में अटकी रह जाती है। कई किरदारों और स्थितियों के बीच रचा गया यह उपन्यास हमारे समय की एक बड़ी विडम्बना पर उँगली रखता है और अपने छोटे कलेवर के बावजूद एक बड़ा वृत्तान्त रचता है।

—प्रियदर्शन  

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 168p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1
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Pratibha Katiyar

Author: Pratibha Katiyar

प्रतिभा कटियार

प्रतिभा कटियार का जन्म 21 जुलाई, 1975 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक और राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि ली। पत्रकारिता में डिप्लोमा भी किया। ‘स्वतंत्र भारत’, ‘पायनियर’, ‘हिन्दुस्तान’, ‘जनसत्ता एक्सप्रेस’ और ‘दैनिक जागरण’ में काम किया। पिछले 12 वर्षों से अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के साथ जुड़कर शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं। उन्होंने रूसी कवि मारीना त्स्वेतायेवा की जीवनी ‘मारीना’ लिखी है। पत्र-संकलन ‘वह चिड़िया क्या गाती होगी’, कविता-संग्रह ‘ख़्वाब जो बरस रहा है’ और ‘चयनित कविताएँ’ प्रकाशित हो चुके हैं। ‘कबिरा सोई पीर है’ उनका पहला उपन्यास है। अंडमान यात्रा पर लिखा यात्रा-संस्मरण और कविता ‘ओ अच्छी लड़कियो’ कर्नाटक की रानी चेनम्मा विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। दो कहानियों पर शॉर्ट फ़िल्म का निर्माण हुआ है। कविताएँ गुजराती, मराठी और अंग्रेजी में अनूदित हुई हैं।

वर्तमान में अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘पाठशाला भीतर और बाहर’ में बतौर मुख्य सम्पादक कार्यरत हैं।

ई-मेल : kpratibha.katiyar@gmail.com 

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