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Anam Yogi Ki Diary-Paper Back

Special Price ₹135.00 Regular Price ₹150.00
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9788171197446
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सत्य और असत्य क्या है, इसको बताया नहीं जा सकता। समय और परिस्थिति के अनुसार यह परिवर्तित होता रह सकता है। ईश्वर का अस्तित्व अनाम है, कोई धर्मशास्त्र या धर्मशास्त्री उसे नहीं जान सका। फिर भी यह खोज चलती रहती है। ऐसी ही एक खोज का नतीजा है यह पुस्तक। एक साधारण व्यक्ति को एक दिन सहसा अपने दैनंदिन जीवन की निरर्थकता का भान होता है और यह हिमालय की यात्रा को चल पड़ता है। मकसद है उस सम्‍पूर्ण की उपलब्धि जिसके लिए हर युग का मनुष्य अपनी सुख-सुविधाओं को छोड़कर भटका और जो युगों-युगों से हमारे आधे-अधूरे अस्तित्व को आकर्षित करता रहा। अपनी इस यात्रा के मोड़ों, बाधाओं, पड़ावों और उपलब्धियों का लेखा-जोखा लेखक ने अपनी इस डायरी में प्रस्तुत किया है। हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों, घाटियों और कन्‍दराओं में बसे साधुओं-वैरागियों और इस क्षेत्र के जनजीवन के दृश्यों के साथ अपनी इस डायरी में लेखक ने अपने भीतर के ‘व्यक्ति’ से मुठभेड़ के ब्यौरे भी दर्ज किए हैं। एक भिन्न बोध की पुस्तक।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1999
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 136p
Price ₹150.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18 X 12.2 X 0.5
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Deepak Yogi

Author: Deepak Yogi

दीपक योगी

जन्‍म : 4 सितम्‍बर, 1955

शिक्षा : बी.कॉम., एल.एल.बी.।

पिछले कई वर्षों से कुंडलिनी जागरण, सम्‍मोहन व परामनोवैज्ञानिक शक्तियों पर साधनारत, हिमालय के प्रति अदम्‍य आकर्षण के वशीभूत बार-बार यात्राएँ, अध्‍यात्‍म के गूढ़ रहस्‍यों के सत्‍यान्‍वेषण के प्रति समर्पित, शक्तिपात दिशा एवं विधा के वैज्ञानिक।

अन्‍तरराष्‍ट्रीय कुंडलिनी रिसर्च केन्‍द्र, स्‍वीट्जरलैंड द्वारा कुंडलिनी रिसर्च के लिए विश्‍व के 50 योगियों में चयनित।

बंगलौर के नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्‍थ एंड न्‍यूरो रिसर्च केन्‍द्र में 6-11 सितम्‍बर, 1995 तक आधुनिकतम कम्‍प्‍यूटरों द्वारा वैज्ञानिकों ने अनुसन्‍धान हेतु जिन योगियों का चयन किया, उनमें एक।

अन्‍तरराष्‍ट्रीय सहयोग परिषद के प्रतिनिधि मंडल के साथ मारीशस में हुए प्रवासी भारतीयों के सम्‍मेलन में हिस्‍सेदारी, अन्‍तरराष्‍ट्रीय योग परामनोविज्ञान संस्‍थान के संस्‍थापक, विभिन्‍न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। 

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