Alakshit Gaurav : Renu

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹594.15 Regular Price ₹699.00
15% Off
In stock
SKU
Alakshit Gaurav : Renu
- +
Share:

'भाषा की जड़ों को हरियानेवाला रसायन जो उसे ज़‍िन्दा रखता है, उसे सम्पन्न करता है, वह 'लोक' का स्रोत है। इस स्रोत की राह दिखाने के लिए हम रेणु के ऋणी हैं।' हमारे समय की वरिष्ठतम गद्यकार कृष्णा सोबती ने अपने साक्षात्कारों आदि में अनेक बार इस बात का उल्लेख किया है। उन्हें लगता है कि रेणु ने सभ्य भाषाओं और नागरिकताओं के इकहरे वैभव के बीच भारत के उस बहुस्तरीय वाक् को स्थापित किया जो अनेक समयों की अर्थच्छटाओं को सोखकर सन्‍तृप्त ध्वनियों में स्थित हुआ है और वास्तव में वही है जो भारत के असली विट और सघन अर्थ-सामर्थ्य का प्रतिनिधित्व करता है।

रेणु ने अपने लोक के आनन्द और अवसाद इन्हीं ध्वनियों, इन्हीं भंगिमाओं में व्यक्त किए। दुर्भाग्य से देश के किसी और हिस्से से ऐसा साहस करनेवाले लेखक न आ सके, और सिर्फ़ यही नहीं, रेणु को और उनकी वाक्-भंगिमाओं को समझनेवाले लोगों की भी कमी महसूस की गई। परिणाम यह कि उनको बड़ा तो मान लिया गया लेकिन उनका बहुत कुछ ऐसा रह गया जिसे न समझा गया, न समझा जा सका।

यह पुस्तक रेणु के उसी अलक्षित को लक्षित है। लेखक का कहना है कि 'इसके पूर्व रेणु पर जो कहा गया है, वह तो कहा ही जा चुका है। यह पुस्तक उन सबके अतिरिक्त है, उनके खंडन-मंडन में नहीं है...सतह पर की अर्थ-चर्वणा बहुत हो चुकी। रेणु का अलक्षित ही रेणु के गौरव का आधार है।' अर्थात् वह अर्थ-लोक जो सुशिक्षित भावक के ज्यामितिक भाषा-बोध की पकड़ में आने से या तो रह जाता है, या ग़लत ढंग से पकड़ लिया जाता है। उम्मीद है, पढ़नेवाले इससे न सिर्फ़ रेणु को नए सिरे से पढ़ने को उत्सुक होंगे, बल्कि अपने समय की अस्पष्ट ध्वनियों को सुनने-समझने की सामर्थ्य भी जुटा पाएँगे।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 272p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Alakshit Gaurav : Renu
Your Rating
Surendra Narayan Yadav

Author: Surendra Narayan Yadav

सुरेन्‍द्र नारायण यादव

 

जन्म : 8 अप्रैल, 1955; ग्राम—महेशपुर, डाकघर—कुमारीपुर, ज़‍िला—कटिहार (बिहार)।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), पटना विश्वविद्यालय, पटना; पीएच.डी., ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा।

प्रकाशन : प्रथम आलेख ‘दिनमान’ (जुलाई-1976) में प्रकाशित। अनेक राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं, शोध-पत्रिकाओं (रिसर्च जर्नल्स), वेबसाइट एवं संकलनों में आलेख प्रकाशित। ‘संक्रमण और रेणु की औपन्यासिक नारियाँ’ तथा कई अन्य पुस्तकें भी प्रकाशित हैं।

अनेक राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय सेमिनारों में शिरकत एवं सत्रों की अध्यक्षता। अनेक देशों की यात्रा।

सम्मान : शोध एवं आलोचना में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना से 'साहित्य सेवा सम्मान’; अखिल भारतीय हिन्दी सेवी संस्थान, इलाहाबाद द्वारा 'राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान’; दिशा (रूसी-भारतीय मैत्री संघ), मास्को द्वारा 'हिन्दी भास्कर अन्तरराष्ट्रीय सम्मान’ के अलावा अनेक अन्य सम्मान एवं प्रशस्तियाँ।

सम्प्रति : वर्तमान में हिन्दी विभाग, डी.एस. कॉलेज, कटिहार में अध्यापन।

 

ई-मेल : surendranarayanyadav@rediffmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top