Agle Janam Mohe Bitiya Na Kijo-Paper Back

Special Price ₹89.10 Regular Price ₹99.00
10% Off
Out of stock
SKU
9788126707133
Share:

‘अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो’ मामूली नाचने-गानेवाली दो बहनों की कहानी है, जो बार-बार मर्दों के छलावों का शिकार होती हैं। फिर भी यह उपन्यास जागीरदार घरानों के आर्थिक ही नहीं, भावात्मक खोखलेपन को भी जिस तरह उभारकर सामने लाता है, उसकी मिसाल उर्दू साहित्य में मिलना कठिन है। एक जागीरदार घराने के आग़ा फ़रहाद बकौल खुद पच्चीस साल के बाद भी रश्के-क़मर को भूल नहीं पाते और हालात का सितम यह कि उसके लिए बन्दोबस्त करते हैं तो कुछेक ग़ज़लों का ताकि ‘अगर तुम वापस आओ और मुशायरों में मदऊ (आमंत्रित) किया जाए तो ये ग़ज़लें तुम्हारे काम आएँगी।’ आख़िर सबकुछ लुटने के बाद रश्के-कमर के पास बचता है तो बस यही कि ‘कुर्तों की तुरपाई फ़ी कुर्ता दस पैसे...’

खोखलापन और दिखावा—जागीरदार तबके की इस त्रासदी को सामने लाने का काम ‘दिलरुबा’ उपन्यास भी करता है। मगर विरोधाभास यह है कि समाज बदल रहा है और यह तबका भी इस बदलाव से अछूता नहीं रह सकता। यहाँ लेखिका ने प्रतीक इस्तेमाल किया है फ़िल्म उद्योग का, जिसके बारे में इस तबके की नौजवान पीढ़ी भी उस विरोध-भावना से मुक्त है जो उनके बुज़ुर्गों में पाई जाती थी।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 1995
Edition Year 2019, Ed. 7th
Pages 134p
Price ₹99.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Agle Janam Mohe Bitiya Na Kijo-Paper Back
Your Rating
Qurratul Ain Haider

Author: Qurratul Ain Haider

क़ुर्रतुल ऐन हैदर

 

जन्म : 1927 में अलीगढ़ में। लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में एम.ए.। अंग्रेज़ी पत्रिका 'इम्प्रिंट’ और 'इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इंडिया’ में कई वर्षों तक कार्य किया। उर्दू की नई कहानी को शुरू करनेवालों में से एक सुश्री हैदर का पहला कहानी-संग्रह ‘सितारों से आगे’ सन् 1947 में छपा। कहानी-संग्रह ‘पतझड़ की आवाज़’ पर वर्ष 1967 का ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। इसके अतिरिक्त अनुवाद के लिए ‘सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार’ (1969), ‘पद्मश्री’ (1984), ‘ग़ालिब मोदी अवार्ड’ (1984), ‘इक़बाल सम्मान’ (1987), ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ (1991) आदि से सम्मानित। 1994 में साहित्य अकादमी का ‘फ़ेलो’ बनाया गया।

प्रकाशित कृतियाँ : उपन्यास—‘मेरे भी सनमख़ाने’ (1949), ‘सफ़ीन-ए-ग़म-ए-दिल’ (1953), ‘आग का दरिया’ (1959), ‘कार-ए-जहाँ दराज़’ (1979), ‘निशान्‍त के सहयात्री’ (‘आख़ि‍र-ए-शब के हमसफ़र’ का रूपान्तर, 1979), ‘गर्दिश-ए-रंग-ए-चमन’ (1987), ‘चाँदनी बेगम’ (1990), ‘चाय के बाग़’ और ‘अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो’; कहानी-संग्रह—‘सितारों से आगे’ (1947), ‘शीशे के घर’ (1953), ‘पतझड़ की आवाज़’ (1966), ‘रौशनी की रफ़्तार’ (1981), ‘यह दाग़-दाग़ उजाला’ (1971); रिपोर्ताज़—‘कोहे दमावन’ (ईरान), ‘गुलगस्त’ (सोवियत संघ), ‘सितम्‍बर का चाँद’ (जापान और दक्षिण-पूर्व एशिया), ‘जहान-ए-दीगर’ (अमरीका)।

निधन : 2007 में 80 साल की उम्र में निधन।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top