Aadhunik Hindi Kavyalochna Ke Sau Varsh-Hard Back

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9788183610957
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काव्यालोचना के सौन्दर्यशास्त्र और भाषा के वर्तमान परिदृश्य को उर्वर बनाने में एक साथ कम से कम तीन पीढ़ियाँ सक्रिय दिखाई देती हैं जिनमें विभिन्न तरह की प्रेरणाएँ, प्रक्रियाएँ देखी जा सकती हैं। काव्य-आलोचना का अद्यतन परिदृश्य विभिन्न-दृष्टियों के ताने-बाने से निर्मित है।

कविता अपनी रचना में ही कैसे अपना नया काव्यशास्त्र रचती-रचती है? कविता और काव्यालोचना का सौन्दर्य कैसे बनता है? जीवनानुभवों और मनस्तत्वों की भाषा में कैसी बुनावट है? क्या कारण है कि तुलसी-जायसी के व्याख्याता आचार्य शुक्ल कबीर से सहानुभूति-सह-अनुभूति नहीं महसूस करते? लेखिका इस पुस्तक में आधुनिक हिन्दी कविता और काव्यालोचना का नया सौन्दर्यशास्त्र सृजन करने के क्रम में समीक्षा की भाषा के अलावा ऐसे कई सवालों से भी दो-चार हुई हैं।

हिन्दी काव्यालोचना के सौ वर्ष की गहन पड़ताल करनेवाली यह पुस्तक कविता के अध्येताओं, शोधार्थियों व काव्य-प्रेमियों के लिए उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2006, Ed. 1st
Pages 239p
Price ₹350.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Pushpita Awasthi

Author: Pushpita Awasthi

प्रो. पुष्पिता अवस्थी

जन्म : कानपुर, उत्तर प्रदेश (भारत)। राष्ट्रीयता : नीदरलैंड।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) व शोध (आधुनिक काव्यालोचन की भाषा)।

2001-2005 तक सूरीनाम स्थित भारतीय राजदूतावास की प्रथम सचिव एवं ‘भारतीय संस्कृति केन्द्र’, पारामारिबो में हिन्दी प्रोफ़ेसर। इसके पूर्व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के बसंत कॉलेज फ़ॉर वुमेन में हिन्दी विभागाध्यक्ष। 2006 से नीदरलैंड स्थित ‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’ की निदेशक। 2010 में गठित ‘अन्तरराष्ट्रीय भारतवंशी सांस्कृतिक परिषद’ की महासचिव।

प्रकाशन व प्रसारण : ‘गोखरू’, ‘जन्म’ (कहानी-संग्रह); ‘अक्षत’, ‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’, ‘ईश्वराशीष’, ‘हृदय की हथेली’, ‘अन्तर्ध्वनि’, ‘देववृक्ष’, ‘शैल प्रतिमाओं से’ (कविता-संग्रह); ‘आधुनिक हिन्दी काव्यालोचना के सौ वर्ष’ (आलोचना); ‘संस्कृति,  भाषा और साहित्य’ (प्रो. विद्यानिवास मिश्र से साक्षात्कार); ‘श्रीलंका वार्ताएँ’, ‘स्कूलों के नाम पत्र’—भाग 2 (जे. कृष्णमूर्ति), ‘काँच का बक्सा’ (नीदरलैंड की परीकथाएँ) (अनुवाद); ‘कविता सूरीनाम’, ‘कथा सूरीनाम’, ‘दोस्ती की चाह के बाद’, ‘जीत नराइन की कविताएँ’, ‘दादा धर्माधिकारी की सूक्तियाँ’; ‘सर्वोदय दैनन्दिनी’; ‘परिसंवाद’ (कृष्णमूर्ति के दर्शन पर आधारित त्रैमासिक), ‘सर्वोदय’ (सम्पादन)। सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा’ और ‘शब्द शक्ति’ पत्रिकाओं के प्रकाशन की शुरुआत व अतिथि सम्‍पादन।

सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा प्रकाशन संस्थान’ तथा ‘साहित्य मित्र’ संस्था की स्थापना।

सम्मान व पुरस्कार : ‘भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थान’ द्वारा कविता के लिए पुरस्कृत (1987), अन्तरराष्ट्रीय ‘अज्ञेय साहित्य सम्मान’ (2002), ‘सूरीनाम  राष्ट्रीय  हिन्दी सेवा पुरस्कार’ (2002), कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’ (2008)।  

बांग्ला, फ़्रेंच, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी व डच भाषाओं की जानकार प्रो. पुष्पिता अवस्‍थी ‘एनसीईआरटी’ में पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की सदस्य भी रही हैं।

 

सम्‍प्रति : निदेशक—‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’, नीदरलैंड।

 

सम्‍पर्क : pushpita.awasthi@bkkvastgoed.nl, pushpita.awasthi@hindiuniverse.com, http://pushpitaawasthi.blogspot.in

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