Facebook Pixel

Hriday Ki Hatheli

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
As low as ₹346.50 Regular Price ₹495.00
30% Off
In stock
SKU
Hriday Ki Hatheli

- +
Share:
Codicon

‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’, ‘अक्षत’ और ‘ईश्वराशीष’ के बाद ‘हृदय की हथेली’ से पुष्पिता अवस्थी ने प्रणय, प्रतीक्षा, विरह, आतुरता, समर्पण और आराधना की लौकिक अनुभूतियों को लोकैषणा के सँकरे दायरे से बाहर निकालकर जैसे एक आध्यात्मिक सिहरन में बदल दिया है। ‘आँसू दुनिया के लिए आँख का पानी है/लेकिन तुम्हारे लिए दु:ख की आग है’ कहते हुए कवयित्री ने प्रबन्धन-पटु समय में प्रेम की एक सरल रेखा खींचनी चाही है। उसके यहाँ ‘प्रेम के रूपक’ नहीं हैं, प्रणय का पिघलता ताप है, आँखों की चौखट में विश्वास की अल्पना है, अन-जी आकांक्षाओं की प्यास है, प्रेम का धन-धान्य है, स्मृति के कुठले में सँजोए अन्न की तरह अतीत का वैभव है। अचरज नहीं कि कवयित्री ख़ुद यह कहती है—‘इन कविताओं की व्यंजना आकाश की तरह निस्सीम है और आकाश गंगा की तरह अछोर भी। इनके अन्दर की यात्रा मन के रंगों-रचावों की यात्रा है, रस-कलश की छलकन है। सृजन के राग का आरोहण और कृत्रिमता के तिमिर का तिरोहण है।’

प्रेम के उद्दाम आदिम संगीत से होती—प्रेम का गान करने और उसका मान रखनेवाले कवियों—कालिदास, जयदेव, विद्यापति, घनानन्द की परम्परा की ही धात्री पुष्पिता फिर एक बार पुण्य के पारावार में संतरण करना चाहती हैं, अपनी गंगा में प्रिय की यमुना को जीते हुए कृष्ण को राधा-भाव और राधा को कृष्ण-भाव में जीते हुए देखना चाहती हैं। उनकी पदावलियों में अनुरक्त और विदग्ध अनुभवों—दोनों की उमगती कसक भरी है, रचनेवाले के भीतर जैसे अकेलेपन की पिघलती मोमबत्ती। शब्दों के ताप में प्रणय की तपश्चर्या है, प्रेम को पृथ्वी की पहली और अन्तिम चाहत की तरह महसूस करने की उत्कंठा है। प्यार की पवित्र जाह्नवी को दिनोंदिन मैला कर रहे समय के बावजूद देह की आकाश गंगा में तैरकर आँखें पार उतर जाना चाहती हैं ठहरे हुए समय से मोक्ष के लिए। इन कविताओं का सलीक़ेदार अपनत्व मन पर एक ऐसी छाप छोड़ता है जैसे इन अनुभूतियों के साथ, पढ़नेवाला भी सह-यात्रा कर रहा हो।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2007
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 127p
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18.5 X 18.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Hriday Ki Hatheli
Your Rating
Pushpita Awasthi

Author: Pushpita Awasthi

प्रो. पुष्पिता अवस्थी

जन्म : कानपुर, उत्तर प्रदेश (भारत)। राष्ट्रीयता : नीदरलैंड।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) व शोध (आधुनिक काव्यालोचन की भाषा)।

2001-2005 तक सूरीनाम स्थित भारतीय राजदूतावास की प्रथम सचिव एवं ‘भारतीय संस्कृति केन्द्र’, पारामारिबो में हिन्दी प्रोफ़ेसर। इसके पूर्व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के बसंत कॉलेज फ़ॉर वुमेन में हिन्दी विभागाध्यक्ष। 2006 से नीदरलैंड स्थित ‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’ की निदेशक। 2010 में गठित ‘अन्तरराष्ट्रीय भारतवंशी सांस्कृतिक परिषद’ की महासचिव।

प्रकाशन व प्रसारण : ‘गोखरू’, ‘जन्म’ (कहानी-संग्रह); ‘अक्षत’, ‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’, ‘ईश्वराशीष’, ‘हृदय की हथेली’, ‘अन्तर्ध्वनि’, ‘देववृक्ष’, ‘शैल प्रतिमाओं से’ (कविता-संग्रह); ‘आधुनिक हिन्दी काव्यालोचना के सौ वर्ष’ (आलोचना); ‘संस्कृति,  भाषा और साहित्य’ (प्रो. विद्यानिवास मिश्र से साक्षात्कार); ‘श्रीलंका वार्ताएँ’, ‘स्कूलों के नाम पत्र’—भाग 2 (जे. कृष्णमूर्ति), ‘काँच का बक्सा’ (नीदरलैंड की परीकथाएँ) (अनुवाद); ‘कविता सूरीनाम’, ‘कथा सूरीनाम’, ‘दोस्ती की चाह के बाद’, ‘जीत नराइन की कविताएँ’, ‘दादा धर्माधिकारी की सूक्तियाँ’; ‘सर्वोदय दैनन्दिनी’; ‘परिसंवाद’ (कृष्णमूर्ति के दर्शन पर आधारित त्रैमासिक), ‘सर्वोदय’ (सम्पादन)। सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा’ और ‘शब्द शक्ति’ पत्रिकाओं के प्रकाशन की शुरुआत व अतिथि सम्‍पादन।

सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा प्रकाशन संस्थान’ तथा ‘साहित्य मित्र’ संस्था की स्थापना।

सम्मान व पुरस्कार : ‘भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थान’ द्वारा कविता के लिए पुरस्कृत (1987), अन्तरराष्ट्रीय ‘अज्ञेय साहित्य सम्मान’ (2002), ‘सूरीनाम  राष्ट्रीय  हिन्दी सेवा पुरस्कार’ (2002), कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’ (2008)।  

बांग्ला, फ़्रेंच, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी व डच भाषाओं की जानकार प्रो. पुष्पिता अवस्‍थी ‘एनसीईआरटी’ में पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की सदस्य भी रही हैं।

 

सम्‍प्रति : निदेशक—‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’, नीदरलैंड।

 

सम्‍पर्क : pushpita.awasthi@bkkvastgoed.nl, pushpita.awasthi@hindiuniverse.com, http://pushpitaawasthi.blogspot.in

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top