प्रकृति एक न्यायपूर्ण और समानता–आधारित समाज की स्थापना के लिए प्रेरणा और आधार प्रदान करती है। सभ्यता के तक़ाज़े जहाँ विभाजन और असमानता को बढ़ावा देते हैं, प्रकृति का मूल स्वर साहचर्य और जोड़ने का होता है। विश्व के जिन हिस्सों में प्रकृति अपने अक्षत रूप में आज भी हमें आश्वस्ति देती है, उनमें एक कैरेबियाई क्षेत्र भी है। हज़ारों किलोमीटर के क्षेत्र में फैली अनछुई, अक्षत प्रकृति समुद्र तट, पर्वत, झरने, नदियाँ, जंगली वृक्ष और पशु–पक्षी।
सूरीनाम में प्रवास के दौरान कवयित्री पुष्पिता की रची गई ये रचनाएँ इसी छवि का अन्वेषण करती हैं। साथ ही कैरेबियाई देशों का वह मानवी पक्ष भी इनमें ध्वनित होता है जिसके कारण इस क्षेत्र की
विश्व में अलग पहचान है। दुनिया के लगभग हर क्षेत्र के लोग यहाँ आकर बसे हैं एशियाई, अफ्रीकी, यूरोपीय और लैटिन अमेरिकी। विश्व की मानवशास्त्रीय विविधता का एक लघु संस्करण आप यहाँ पा सकते हैं।
कैरेबियाई देशों के लम्बे प्रवास के दौरान रची गई ये कविताएँ इस क्षेत्र के समूचे प्राकृतिक, सामाजिक और मानवीय वैशिष्ट्य के प्रति प्रेमोद्गार के रूप में प्रकट हुई हैं। कवयित्री ने इन पंक्तियों में उस वरदान की पुनर्रचना की है जो प्रकृति ने इस क्षेत्र को दिया है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2005 |
Edition Year | 2005, Ed. 1st |
Pages | 225p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |