Tum Ho Mujh Mein

Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Tum Ho Mujh Mein

‘तुम हो मुझमें’ संवेदनशील कवयित्री पुष्पिता का महत्त्वपूर्ण कविता–संग्रह है। महत्त्वपूर्ण इस अर्थ में कि इन कविताओं में आकुल आत्मीयता और राग–विराग के जो उदात्त आशय हैं वे पाठक के शब्दबोध में प्रीतिकर विस्मय उपजाते हैं। प्रेम समस्त कविताओं का बीज शब्द है। प्रेम के अगणित अर्थों का अनुभावन करते हुए पुष्पिता ने अनुभवों, भावों व संवादों का सान्द्र आस्वाद सिरजा है। संग्रह की एक कविता में वे कहती हैं—

‘प्रेम शब्दों से परे है

शब्दकोशों से बहिष्कृत

मन के अन्त:पुर का पाहुन है वह

केवल हृदय से—

हार्दिकता से काम्य।’

इन कविताओं का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है समकालीन चिन्तन व चेतना से सुगठित सम्पृक्ति। प्रचलित विमर्शों के सूत्र उनके आन्तरिक सत्यों के साथ सहेजे गए हैं। सतह पर तिरते मूल्यों व निष्कर्षों से कवयित्री की सहमति नहीं है। ‘जिन खोजा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ’ को चरितार्थ करके शब्दार्थ के अगम को सुगम बनाया गया है।

यह कविता–संग्रह प्रेम, मैत्री, साहचर्य, प्रकृति, गोचर–अगोचर, शब्द–शब्दातीत को उनकी मौलिकता में आलोकित करता है। पुष्पिता के पास भाषा और शिल्प की समृद्धि है। ‘तुम्हें देखने के बाद/छूट जाता है तुम्हारा देखना, मुझमें’—के स्वर में कहें तो ये कविताएँ पढ़कर पाठकों के मन में इनका बहुत कुछ छूट जाएगा।

जीवन को समग्रता में सँजोती रचनाएँ ‘तुम हो मुझमें’ की उपलब्धि हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 163p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Tum Ho Mujh Mein
Your Rating
Pushpita Awasthi

Author: Pushpita Awasthi

प्रो. पुष्पिता अवस्थी

जन्म : कानपुर, उत्तर प्रदेश (भारत)। राष्ट्रीयता : नीदरलैंड।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) व शोध (आधुनिक काव्यालोचन की भाषा)।

2001-2005 तक सूरीनाम स्थित भारतीय राजदूतावास की प्रथम सचिव एवं ‘भारतीय संस्कृति केन्द्र’, पारामारिबो में हिन्दी प्रोफ़ेसर। इसके पूर्व बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के बसंत कॉलेज फ़ॉर वुमेन में हिन्दी विभागाध्यक्ष। 2006 से नीदरलैंड स्थित ‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’ की निदेशक। 2010 में गठित ‘अन्तरराष्ट्रीय भारतवंशी सांस्कृतिक परिषद’ की महासचिव।

प्रकाशन व प्रसारण : ‘गोखरू’, ‘जन्म’ (कहानी-संग्रह); ‘अक्षत’, ‘शब्द बनकर रहती हैं ऋतुएँ’, ‘ईश्वराशीष’, ‘हृदय की हथेली’, ‘अन्तर्ध्वनि’, ‘देववृक्ष’, ‘शैल प्रतिमाओं से’ (कविता-संग्रह); ‘आधुनिक हिन्दी काव्यालोचना के सौ वर्ष’ (आलोचना); ‘संस्कृति,  भाषा और साहित्य’ (प्रो. विद्यानिवास मिश्र से साक्षात्कार); ‘श्रीलंका वार्ताएँ’, ‘स्कूलों के नाम पत्र’—भाग 2 (जे. कृष्णमूर्ति), ‘काँच का बक्सा’ (नीदरलैंड की परीकथाएँ) (अनुवाद); ‘कविता सूरीनाम’, ‘कथा सूरीनाम’, ‘दोस्ती की चाह के बाद’, ‘जीत नराइन की कविताएँ’, ‘दादा धर्माधिकारी की सूक्तियाँ’; ‘सर्वोदय दैनन्दिनी’; ‘परिसंवाद’ (कृष्णमूर्ति के दर्शन पर आधारित त्रैमासिक), ‘सर्वोदय’ (सम्पादन)। सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा’ और ‘शब्द शक्ति’ पत्रिकाओं के प्रकाशन की शुरुआत व अतिथि सम्‍पादन।

सूरीनाम में ‘हिन्दीनामा प्रकाशन संस्थान’ तथा ‘साहित्य मित्र’ संस्था की स्थापना।

सम्मान व पुरस्कार : ‘भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थान’ द्वारा कविता के लिए पुरस्कृत (1987), अन्तरराष्ट्रीय ‘अज्ञेय साहित्य सम्मान’ (2002), ‘सूरीनाम  राष्ट्रीय  हिन्दी सेवा पुरस्कार’ (2002), कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’ (2008)।  

बांग्ला, फ़्रेंच, हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेज़ी व डच भाषाओं की जानकार प्रो. पुष्पिता अवस्‍थी ‘एनसीईआरटी’ में पाठ्यक्रम निर्धारण समिति की सदस्य भी रही हैं।

 

सम्‍प्रति : निदेशक—‘हिन्दी यूनिवर्स फ़ाउंडेशन’, नीदरलैंड।

 

सम्‍पर्क : pushpita.awasthi@bkkvastgoed.nl, pushpita.awasthi@hindiuniverse.com, http://pushpitaawasthi.blogspot.in

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top