Aadhunik Hindi Kavita

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प्रस्तुत पुस्तक में प्रसिद्ध कवि-आलोचक डॉ. विश्वनाथप्रसाद तिवारी ने आधुनिक हिन्दी कविता के तेरह प्रमुख कवियों—मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, माखनलाल चतुर्वेदी, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, सुमित्रानन्दन पन्त, महादेवी वर्मा, भगवतीचरण वर्मा, सुभद्राकुमारी चौहान, हरिवंशराय बच्चन, रामधारी सिंह ‘दिनकर’, नरेन्द्र शर्मा और स.ही. वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की कविताओं का विश्लेषण-मूल्यांकन किया है। उपर्युक्त कवियों के काव्य का यह अध्ययन अपने संक्षिप्त रूप में विराट विस्तार को समेटने वाला है। बूँद में समुद्र की तरह। यह उन कवियों की मुख्य काव्य-विशेषताओं को उद्घाटित करता है, साथ ही एक लम्बी कालावधि की काव्य प्रवृत्तियों को भी। पुस्तक में किसी प्रकार का पूर्वग्रह नहीं है, न उखाड़-पछाड़ वाली दृष्टि। लेखक ने पूरी तरह सन्तुलित-तटस्थ दृष्टि से सहृदयता के साथ कवियों के काव्यानुभव और उनकी काव्यभाषा की समीक्षा की है। अवश्य ही यह पुस्तक पाठकों का ध्यान सही निष्कर्षों की ओर आकृष्ट करेगी।

इस पुस्तक से हिन्दी कविता के कुछ अत्यन्त विशिष्ट कवियों के माध्यम से कविता के एक महत्वपूर्ण युग की उपलब्धियों के बारे में स्‍पष्ट जानकारी मिलेगी। इसमें सन्देह नहीं कि आकार में यह लघु पुस्तक साहित्य के अध्येताओं के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 148p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Editorial Review

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Vishwanath Prasad Tiwari

Author: Vishwanath Prasad Tiwari

विश्वनाथप्रसाद तिवारी

 

डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का जन्‍म 20 जून, 1940 को भेड़िहारी, देवरिया, उत्‍तर प्रदेश में हुआ। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष-पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए।

वे गोरखपुर से प्रकाशित होनेवाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘दस्तावेज़’ के सम्पादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है जो 1978 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। डॉ. तिवारी ‘साहित्य अकादेमी’ के 2013 से 2017 तक की अवधि के लिए अध्यक्ष रहे।

उन्होंने गाँव की धूल-भरी पगडंडी से इंग्लैंड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ़्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन और थाईलैंड की ज़मीन नापी है।

उनका रचनाकर्म देश और भाषा की सीमा तोड़ता है। उड़िया में कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी आलोचना पुस्तक का गुजराती और मराठी भाषा में अनुवाद हुआ। इसके अलावा रूसी, नेपाली, अंग्रेज़ी, मलयालम, पंजाबी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलगू, कन्नड़ व उर्दू में भी उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ है। उनके शोध व आलोचना, कविता-संग्रह, यात्रा-संस्मरण, लेखकों से जुड़े संस्‍मरण, साक्षात्कार आदि की दो दर्जन से ज्‍़यादा पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने हिन्दी के कवियों, आलोचकों पर केन्द्रित कई पुस्तकों का सम्पादन किया है।

वे ‘व्यास सम्मान’, ‘सरस्‍वती सम्‍मान’, ‘मूर्तिदेवी पुरस्‍कार’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘पुश्किन सम्मान’ सहित कई सम्‍मानों से नवाजे जा चुके हैं।

 

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