Kavita Kya Hai

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Kavita Kya Hai
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कविता क्या है?—इस प्रश्न के उत्तर में कोई एक सर्वसम्मत परिभाषा दे पाना कठिन है। जैसे हर मनुष्य का अपना एक रूप, स्वभाव और अन्दाज़ होता है, वैसे ही हर भाषा और हर कविता का भी अपना रूप, स्वभाव और अन्दाज़ होता है। इसलिए कविता के बारे में कोई सर्वमान्य निष्कर्ष, कोई ऐसी कसौटी, जिस पर हर काल और हर भाषा की कविता शत-प्रतिशत खरी उतरे, प्रस्तुत करना, और भी कठिन हो जाता है।

अलग-अलग कालों में और अलग-अलग देशों में कविता के प्रतिमान भी बदलते रहे हैं। फिर भी, जिस प्रकार कुछ ऐसे सामान्य धर्म होते हैं जहाँ विविध आकृति-प्रकृति के मनुष्य मिलते हैं और मनुष्य के रूप में अपनी पहचान सुरक्षित रखते हैं, उसी प्रकार कविता के भी कुछ बुनियादी तत्त्व होते हैं जिनके कारण विविध कालों, विविध भाषाओं में लिखी गई विविध भंगिमाओं वाली कविताएँ कविता के एक विशिष्ट रूप में पहचान ली जाती हैं। कविता के इन्हीं बुनियादी लक्षणों की चर्चा इस पुस्तक में हुई है।

इस पुस्तक की सीमाओं में ज़्यादा विस्तार की गुंजाइश न थी। पाठक केवल संकेत ग्रहण करेंगे और मानवता की महान कविता-परम्परा और काव्य-चिन्तन के सूक्ष्म इतिहास में ख़ुद घुसने और उसमें फ़ुरसत से रमने की कोशिश करेंगे।

—भूमिका से

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 2024 Ed. 4th
Pages 95p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Vishwanath Prasad Tiwari

Author: Vishwanath Prasad Tiwari

विश्वनाथप्रसाद तिवारी

 

डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का जन्‍म 20 जून, 1940 को भेड़िहारी, देवरिया, उत्‍तर प्रदेश में हुआ। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष-पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए।

वे गोरखपुर से प्रकाशित होनेवाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘दस्तावेज़’ के सम्पादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है जो 1978 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। डॉ. तिवारी ‘साहित्य अकादेमी’ के 2013 से 2017 तक की अवधि के लिए अध्यक्ष रहे।

उन्होंने गाँव की धूल-भरी पगडंडी से इंग्लैंड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ़्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन और थाईलैंड की ज़मीन नापी है।

उनका रचनाकर्म देश और भाषा की सीमा तोड़ता है। उड़िया में कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी आलोचना पुस्तक का गुजराती और मराठी भाषा में अनुवाद हुआ। इसके अलावा रूसी, नेपाली, अंग्रेज़ी, मलयालम, पंजाबी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलगू, कन्नड़ व उर्दू में भी उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ है। उनके शोध व आलोचना, कविता-संग्रह, यात्रा-संस्मरण, लेखकों से जुड़े संस्‍मरण, साक्षात्कार आदि की दो दर्जन से ज्‍़यादा पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने हिन्दी के कवियों, आलोचकों पर केन्द्रित कई पुस्तकों का सम्पादन किया है।

वे ‘व्यास सम्मान’, ‘सरस्‍वती सम्‍मान’, ‘मूर्तिदेवी पुरस्‍कार’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘पुश्किन सम्मान’ सहित कई सम्‍मानों से नवाजे जा चुके हैं।

 

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