कविता क्या है?—इस प्रश्न के उत्तर में कोई एक सर्वसम्मत परिभाषा दे पाना कठिन है। जैसे हर मनुष्य का अपना एक रूप, स्वभाव और अन्दाज़ होता है, वैसे ही हर भाषा और हर कविता का भी अपना रूप, स्वभाव और अन्दाज़ होता है। इसलिए कविता के बारे में कोई सर्वमान्य निष्कर्ष, कोई ऐसी कसौटी, जिस पर हर काल और हर भाषा की कविता शत-प्रतिशत खरी उतरे, प्रस्तुत करना, और भी कठिन हो जाता है।
अलग-अलग कालों में और अलग-अलग देशों में कविता के प्रतिमान भी बदलते रहे हैं। फिर भी, जिस प्रकार कुछ ऐसे सामान्य धर्म होते हैं जहाँ विविध आकृति-प्रकृति के मनुष्य मिलते हैं और मनुष्य के रूप में अपनी पहचान सुरक्षित रखते हैं, उसी प्रकार कविता के भी कुछ बुनियादी तत्त्व होते हैं जिनके कारण विविध कालों, विविध भाषाओं में लिखी गई विविध भंगिमाओं वाली कविताएँ कविता के एक विशिष्ट रूप में पहचान ली जाती हैं। कविता के इन्हीं बुनियादी लक्षणों की चर्चा इस पुस्तक में हुई है।
इस पुस्तक की सीमाओं में ज़्यादा विस्तार की गुंजाइश न थी। पाठक केवल संकेत ग्रहण करेंगे और मानवता की महान कविता-परम्परा और काव्य-चिन्तन के सूक्ष्म इतिहास में ख़ुद घुसने और उसमें फ़ुरसत से रमने की कोशिश करेंगे।
—भूमिका से
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1999 |
Edition Year | 2024 Ed. 4th |
Pages | 95p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |