हजारीप्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय, अमृतलाल नागर, रामविलास शर्मा, नामवर सिंह, विद्यानिवास मिश्र, श्रीकान्त वर्मा आदि प्रसिद्ध लेखकों के बारे में लिखे गए संस्मरणों की इस पुस्तक में पूरा समकालीन साहित्यिक परिदृश्य रूपायित है। अत्यन्त सहानुभूति और तटस्थता के साथ लिखे गए ये संस्मरण निश्चय ही अपनी विश्वसनीयता और पठनीयता के लिए उल्लेखनीय होंगे। इनमें किसी मूर्तिनिर्माण या मूर्तिभंजन की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व विश्लेषण की प्रखर, ईमानदार कोशिश है जो लेखकों के मन:लोक को बड़ी गहराई से उद्घाटित करती है। प्रसिद्ध कवि, आलोचक और दस्तावेज़ पत्रिका के सम्पादक डॉ. विश्वनाथप्रसाद तिवारी की क़लम से लिखे गए ये अनूठे संस्मरण स्वयं उनके भी रचनात्मक गद्य का एक विशिष्ट उदाहरण पेश करते हैं।

पुस्तक में हजारीप्रसाद द्विवेदी, अज्ञेय, अमृतलाल नागर और रामविलास शर्मा के साक्षात्कार भी संकलित हैं। इनमें हमारे समय के अनेक महत्त्वपूर्ण साहित्यिक प्रश्नों के उत्तर मिलेंगे और साथ ही अनेक विवादास्पद प्रश्नों पर उन लेखकों की अपनी बेबाक प्रतिक्रिया भी। आधुनिक साहित्य की भीतरी जानकारी की इच्छा रखनेवाला पाठक इस पुस्तक से एक बार गुज़र कर निश्चय ही अपने साहित्यानुभव को समृद्ध कर सकेगा।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 143p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Vishwanath Prasad Tiwari

Author: Vishwanath Prasad Tiwari

विश्वनाथप्रसाद तिवारी

 

डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का जन्‍म 20 जून, 1940 को भेड़िहारी, देवरिया, उत्‍तर प्रदेश में हुआ। वे गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष-पद से वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त हुए।

वे गोरखपुर से प्रकाशित होनेवाली साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका ‘दस्तावेज़’ के सम्पादक हैं। यह पत्रिका रचना और आलोचना की विशिष्ट पत्रिका है जो 1978 से नियमित रूप से प्रकाशित हो रही है। डॉ. तिवारी ‘साहित्य अकादेमी’ के 2013 से 2017 तक की अवधि के लिए अध्यक्ष रहे।

उन्होंने गाँव की धूल-भरी पगडंडी से इंग्लैंड, मारीशस, रूस, नेपाल, अमरीका, नीदरलैंड, जर्मनी, फ़्रांस, लक्जमबर्ग, बेल्जियम, चीन और थाईलैंड की ज़मीन नापी है।

उनका रचनाकर्म देश और भाषा की सीमा तोड़ता है। उड़िया में कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी पर लिखी आलोचना पुस्तक का गुजराती और मराठी भाषा में अनुवाद हुआ। इसके अलावा रूसी, नेपाली, अंग्रेज़ी, मलयालम, पंजाबी, मराठी, बांग्ला, गुजराती, तेलगू, कन्नड़ व उर्दू में भी उनकी रचनाओं का अनुवाद हुआ है। उनके शोध व आलोचना, कविता-संग्रह, यात्रा-संस्मरण, लेखकों से जुड़े संस्‍मरण, साक्षात्कार आदि की दो दर्जन से ज्‍़यादा पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। उन्होंने हिन्दी के कवियों, आलोचकों पर केन्द्रित कई पुस्तकों का सम्पादन किया है।

वे ‘व्यास सम्मान’, ‘सरस्‍वती सम्‍मान’, ‘मूर्तिदेवी पुरस्‍कार’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘पुश्किन सम्मान’ सहित कई सम्‍मानों से नवाजे जा चुके हैं।

 

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