Urdu Sahitya Ka Alochnatmak Ithas-Text Book

₹150.00
ISBN:9789352211449
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इस ग्रन्थ के विद्वान लेखक प्रोफ़ेसर एहतेशाम हुसैन उर्दू के मान्य आलोचक हैं। यह पुस्तक मूल रूप से हिन्दी में ही लिखी गई थी और अब यह एक सर्वमान्य तथ्य है कि इससे अच्छा उर्दू साहित्य का कोई दूसरा इतिहास न तो हिन्दी में उपलब्ध है और न ही उर्दू में। उर्दू साहित्य के अब तक जो इतिहास लिखे गए हैं, उनमें यह कमी रही है कि लेखकों ने सामाजिक चेतना और ऐतिहासिक समग्रता को अपनी दृष्टि में नहीं रखा है; कुछ भाषा सम्बन्धी विभिन्नताओं और शैलियों के भेदोपभेदों को सामने रखकर काल-विभाजन कर दिया है। इससे उर्दू साहित्य से सम्पूर्ण इतिहास के विकास और उसकी विभिन्न विधाओं की प्रगति का ठीक-ठीक ज्ञान नहीं हो पाता है। प्रस्तुत पुस्तक में चेष्टा की गई है कि उर्दू-साहित्य की जो रूपरेखा दी जाए, वह इस बात का सही-साफ़ परिचय दे सके कि कौन-सी ऐसी ऐतिहासिक परिस्थितियाँ थीं, जिनमें साहित्यिक विकास तथा परिवर्तन का क्रम निरन्तर गतिशील रहा और उसने भारतीय भाषाओं के साहित्य में उर्दू-साहित्य की महान् परम्परा को विकसित और समृद्ध किया।

चूँकि उर्दू-साहित्य के इतिहास का हिन्दी साहित्य के इतिहास से अविच्छिन्न सम्बन्ध है, इसलिए यह निश्चित ही है कि यह पुस्तक हिन्दी के उच्च कक्षा के विद्यार्थियों, जिज्ञासु पाठकों, सुधी आलोचकों तथा शोधकर्ताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2020, Ed. 3rd
Pages 288p
Price ₹150.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1.5
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Ahtesham Hussain

Author: Ahtesham Hussain

एहतेशाम हुसैन

उर्दू के प्रख्यात साहित्यकार व आलोचक एहतेशाम हुसैन  11 जुलाई, 1912 को आज़मगढ़ के माहुल गाँव में पैदा हुए। प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। बेलजली स्कूल से हाई स्कूल किया। बी.ए. व एम.ए. की शिक्षा इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की। एम.ए. करते ही जुलाई 1938 से उर्दू विभाग, लखनऊ यूनिवर्सिटी में पढ़ाने लगे। शुरू से ही प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़े होने के कारण मार्क्सवादी चिन्तन उनके लेखों में मिलने लगा। ग़ालिब, प्रेमचन्द, इक़बाल आदि पर उनके लेख चर्चा में आने लगे और उनकी पुस्तकें ‘तनकीदी जायज़े’, ‘अदब और समाज’, ‘अक़बारों-मसायल’ आदि ने अपनी पहचान बनाई। सन् 1961 में प्रोफ़ेसर के पद पर वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी आ गए। 1972 तक इस पद पर रहे।

यूँ तो एहतेशाम हुसैन ने शायरी की, कहानियाँ भी लिखीं और सफ़रनामा भी, लेकिन अरल व अहम पहचान एक प्रगतिशील मार्क्सवादी आलोचक की ऐसी बनी कि बाक़ी सब पीछे रह गए। साहित्य का समाज से रिश्ता जोड़ते हुए उसे इतिहास और ज़माने के टकराव के परिप्रेक्ष्य में देखना एहतेशाम हुसैन का बुनियादी कारनामा था। साहित्य को एक बड़े और फैले हुए दायरे में देखने व समझने की यह पहली और बड़ी कोशिश थी जिससे पूरी नस्ल प्रभावित हुई और एहतेशाम हुसैन केवल एक व्यक्ति या आलोचक ही नहीं, बल्कि प्रगतिशील आलोचना की धरोहर बन गए जिस पर पूरा एक काफ़िला चल पड़ा उनकी पुस्तकें—‘तन्क़ीद और अमली तन्क़ीद’, ‘जौके-अदब और शऊर’, ‘अक्स और आइने’ और चकबस्त, अकबर, सज्जाद जहीर आदि पर लिखे गए उनके लेख उर्दू आलोचना की क़ीमती व रौशन मिसालें हैं जिनके कारण एहतेशाम हुसैन उर्दू आलोचना का कभी न भुलाया जानेवाला अध्याय बन गए। उन्होंने कुछ काम हिन्दी व अंग्रेज़ी में भी किए। ‘उर्दू साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास’ एक ऐसी किताब है जो पूरे हिन्दी साहित्य में लोकप्रिय है।

निधन : 1 दिसम्बर, 1972

 

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