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Tumhare Naam : Jan Nisar Akhtar ko Safia Akhtar ke khat-E-Book

Author: Safia Akhtar
Translator: Asghar Wajahat
Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹149.25 Regular Price ₹199.00
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9789389598636-ebook

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जाँ निसार अख़्तर और उनकी शरीके-हयात सफ़िया अख़्तर को साथ रहने का मौक़ा बहुत कम मिला। उस ज़माने में जब औरतों के लिए घर से ‌बाहर जाकर काम करना बहुत आम बात नहीं थी, वे स्कूल में अपनी नौकरी करती रहीं और न सिर्फ़ अपनी और अपने बच्चों, बल्कि मुम्बई की फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी ज़मीन तलाश रहे जाँ निसार साहब के लिए भी सम्बल जुटाती रहीं।

ये ख़त उन्होंने इसी संघर्ष के दौरान लिखे, लेकिन ये ख़त सिर्फ़ उनके हाल-अहवाल की सूचना-भर नहीं देते, बल्कि वे एक बड़े सृजक की क़लम से उतरे शाहकार की तरह हमारे सामने आते हैं। ज़िन्दगी उन्हें कुछ और वक़्त देती तो निश्चय ही वे साहित्य की दुनिया को कुछ बड़ा देकर जातीं। इन ख़तों में उनकी मुहब्बत और हिम्मत के साथ-साथ उनकी और बेशक जाँ निसार अख़्तर की ज़िन्दगी खुलती जाती है, साथ ही उनका अपना दौर भी अपने तमाम स्याह-सफ़ेद के साथ रौशन होता जाता है। ये ख़त प्यार और हौसले से भरे एक दिल की अक़्क़ासी करते हैं। ये जादू की तरह असर करते हैं; इनका बेहद ताक़तवर और सधा हुआ ‘प्रोज़’ कहीं आपको रुकने नहीं देता, और इनकी तुर्श मिठास में डूबे-डूबे बारहा आपकी आँखें भर आती हैं।

उनके निधन के बाद जाँ निसार साहब ने उनके इन ख़तों को दो जिल्दों में प्रकाशित कराया—’हर्फ़े-आश्ना’ और ‘ज़ेरे-लब’। इस किताब में इन दोनों जिल्दों में संकलित ख़तों को दे दिया गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Asghar Wajahat
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 183p
Price ₹199.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19 X 13 X 1
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Safia Akhtar

Author: Safia Akhtar

सफ़िया अख़्तर
आपका जन्म रुदौली, उत्तर प्रदेश में हुआ। आप उर्दू के प्रसि‍द्ध शायर मजाज़ की बहन थीं। 1943 में आपका विवाह अपने समय के मशहूर शायर जाँ निसार अख़्तर से हुआ। प्रसिद्ध लेखक, शायर, गीतकार जावेद अख़्तर और सलमान अख़्तर आपकी सन्‍तान हैं। आप एक लोकप्रिय शिक्षक और प्रतिभाशाली रचनाकार थीं। आपने अपने पति को जो पत्र लिखे, उन्हें उर्दू साहित्य में एक ख़ास जगह मिली। आपने इस अहम काम को नौ साल की अवधि में अंजाम दिया, जिसे ‘हर्फ़े-आश्ना’ और ‘ज़ेरे-लब’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया। आपके निबन्धों का एक छोटा-सा संग्रह ‘अन्दाज़-ए-नज़र’ भी प्रकाशित है।
आपका निधन सन् 1953 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ।

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