Tum Tab Aana

Author: Rakesh Kabeer
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹420.75 Regular Price ₹495.00
15% Off
In stock
SKU
Tum Tab Aana
- +
Share:

राकेश कबीर की इन कविताओं से गुज़रते हुए जीवन के विभिन्न पहलुओं की विसंगतियों पर सबसे पहले ध्यान जाता है। राकेश की कविताओं में उनका पूरा समय मुकम्मल ढंग से व्यक्त होता दिखता है। राकेश एक ऐसे कवि हैं जो बिम्बों की आयातित शब्दावली से नहीं बल्कि प्रकृति और जीवन के अपने आत्मीय सम्बन्धों के बीच से कविता की नई ध्वनि तलाश करते हैं।
प्रकृति राकेश की कविताओं में विभिन्न प्रतीकों के रूप में आती है। उनकी कविताओं में आए बिम्बों की नवीनता इस बात में है कि ये प्रकृति के भीतर से ही उपजे हैं और अत्याचार से लड़ रहे हैं। इन्हें ऐसे व्यक्तियों के प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है जो व्यवस्था के अन्दर रहकर उसके अन्याय और अत्याचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं। एक आम नागरिक के जीवन में जो व्यवस्थागत विडम्बनाएँ हैं, राकेश का कवि वहीं से अपनी कविता की ज़मीन तलाशता है। ‘स्पर्श’ कविता में एक नौकरीपेशा पिता द्वारा अपनी नन्ही बेटी से बोला गया झूठ, कविता को प्राण देता है। कवि परिवार के इस लगाव और जुड़ाव के बीच कभी भी न तो अपने समाज को भूलता है और न समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को।
कुल मिलाकर कवि राकेश कबीर की कविताओं की ये चौथी किताब संवेदना और शिल्प के स्तर पर आगे बढ़ी हुई दिखती है क्योंकि इसमें जीवन के विविध पक्षों को समेटने का बेहतर प्रयास हुआ है। प्रकृति और प्राणी-जगत के बिम्बों का नवीन अर्थों में प्रयोग और झील की तरह ठहरी हुई व्यवस्था पर व्यंग्य करती कविताएँ इस संग्रह का हासिल हैं।
—नीलाम्बुज सरोज

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Tum Tab Aana
Your Rating

Author: Rakesh Kabeer

राकेश कबीर

जन्म 20 अप्रैल, 1984 को महाराजगंज, उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार में।

प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में ही हुई। आगे की पढ़ाई के लिए वे राजकीय इंटर कॉलेज, गोरखपुर चले गए। गोरखपुर विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र विषय में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से ‘प्रवासी भारतीयों का सिनेमाई चित्रण’ विषय पर एम. फिल. तथा ‘ग्रामीण सामाजिक संरचना में निरन्तरता और परिवर्तन’ विषय पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘नदियाँ बहती रहेंगी’, ‘कुँवरवर्ती कैसे बहे’, ‘नदियाँ ही राह बताएँगी’ (कविता-संग्रह)। ‘नदी की तलाश में’ (पर्यावरण-केन्द्रित आलेख)

उनकी कविताएँ, कहानियाँ और आलेख हिन्दी और अंग्रेज़ी की अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। वे सिनेमा के भी गम्भीर अध्येता हैं। सिनेमा पर केन्द्रित उनकी किताब ‘सिनेमा को पढ़ते हुए’ शीघ्र प्रकाश्य है। इन दिनों वे ‘चिलम चौक का बादशाह’ नाम से एक उपन्यास पर काम कर रहे हैं।

ई-मेल : patelrk2007@gmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top