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Tot Batot-E-Book

Author: Sufi Tabassum
Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹149.25 Regular Price ₹199.00
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9789389577679-ebook

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सूफ़ी तबस्सुम या पूरा नाम लिखें तो ग़ुलाम मुस्तफा तबस्सुम को कौन नहीं जानता। फ़ारसी के माने हुए आलिम (विद्वान), उम्दा शायर और शायरों के उस्ताद (कहा जाता है कि जब तक मुमकिन हो सका फ़ैज़ साहब अपना ताज़ा कलाम शाया होने के पहले सूफ़ी साहब को ज़रूर दिखा लेते थे) और फिर बच्चों के शायर, टूट बटूट की नज़्मों का सिलसिला लिखकर सूफ़ी साहब ने बच्चों ही नहीं बूढ़ों के दिलों में भी घर बना लिया था।

सूफ़ी तबस्सुम की नज़्में सिर्फ़ बच्चों की नज़्में हैं, उनमें उस्तादाना या मुरब्बियाना (उपदेशात्मक) रवैया नहीं इख़्तियार किया गया है बल्कि बच्चों की इन्फरादी हैसियत (व्यक्तिगत स्वतन्त्रता) को बरक़रार रखा गया है। उनमें अख्लाकी दर्स (नैतिकता की शिक्षा) तो क्या इस बात पर भी कुछ ज़ोर नहीं कि ये नज़्में बामानी हों। ये नज़्में हैं, दिल को बहलाने के लिए, ज़ुबान का लुत्फ लेने के लिए, बच्चों को ख़ुश करने के लिए।

—शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Sangita Gundecha
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 102p
Price ₹199.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Sufi Tabassum

Author: Sufi Tabassum

सूफ़ी तबस्सुम

लाहौर (पाकिस्तान) के मशहूर शायर सूफ़ी तबस्सुम का जन्म 4 अगस्त, 1899 को अमृतसर में हुआ था। उनकी आरम्भिक शिक्षा अमृतसर में और उच्च स्तरीय शिक्षा लाहौर में हुई। आप वर्ष 1954 में गवर्नमेण्ट कॉलेज, लाहौर से फ़ारसी और उर्दू विभाग के अध्यक्ष रहते हुए सेवानिवृत्त हुए। आप 'लयलो निहार’ जर्नल के सम्पादक भी रहे। सूफ़ी साहब ने शायर इक़बाल पर बहुत काम किया। इस्लामाबाद में इक़बाल पर आयोजित एक कार्यक्रम से लौटते हुए लाहौर रेलवे स्टेशन पर 7 फरवरी, 1978 को आपकी मृत्यु हुई।

सूफ़ी तबस्सुम की नज़्मों की ख्याति बड़ों और बच्चों में समान रूप से थी। उनकी लिखी बच्चों की नज़्मों की किताबें 'झूलने’, 'सुनो गपशप’, 'टोल मटोल’ फिरोज़ एंड सन्स, लाहौर से प्रकाशित 'टूट बटूट की नज़्में’ विशेष रूप से प्रसिद्ध रही हैं। ये नज़्में इतनी ज़्यादा पसन्द की गईं कि बच्चे इन्हें स्कूल के अलावा घरों और मुहल्लों में भी गाते-फिरते थे।

सूफ़ी तबस्सुम को वर्ष 1963 में 'तमग़ाए हुस्नेकार कर्दगी’ और 1967 में 'सितारा-ए-इम्तियाज़’ से पाकिस्तान सरकार ने सम्मानित किया। ईरान सरकार ने सूफ़ी साहब को 'तमग़ाए निशाने फज़ीलत’ से सम्मानित किया।

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