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Suraj Sabka Hai-Hard Cover

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9788171193226
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‘सूरज सबका है’ ऐतिहासिक कृति से अधिक लोक-मानस की कृति है। कथा की शुरुआत 1804-15 में गोरख्याणी-गढ़वाल पर गोरखों के आक्रमण से होती है जो बीच-बीच में क्‍लेश की तरह सोनी गाँव की दादी की जिवेषणा, गढ़वाल की तत्कालीन राजधानी श्रीनगर में रानी कर्णावती के साहस, बुद्धि-चातुर्य, दिल्ली की मुग़ल सल्तनत के मनसबदार नजावत खाँ की मूर्खतापूर्ण लोलुपता, ईस्ट इंडिया कम्पनी की धूर्तता से गुज़रते हुए, आज़ाद भारत के शुरुआती दिनों में परगनाधिकारी देवीदत्त की सहृदयता को लक्षित करते हुए सोनी गाँव पर ही समाप्त हो जाती है। औपन्यासिक भाषिक संरचना की दृष्टि से विद्यासागर नौटियाल का समूचा कथा-संसार, विशेषकर ‘सूरज सबका है’ अद्वितीय, अप्रतिम है।

—मुहम्मद हम्माद फ़ारूक़ी

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Isbn 10 8171193226
Publication Year 1997
Edition Year 1997, Ed. 1st
Pages 140p
Price ₹125.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Vidya Sagar Nautiyal

विद्यासागर नौटियाल

29 सितम्बर, 1933 को उत्तर भारत के एक सामन्ती राज्य टिहरी-गढ़वाल में भागीरथी के तट पर बसे प्रसिद्ध गाँव मालीदेवल में वन-अधिकारी पिता नारायणदत्त तथा माता रत्ना के द्वितीय पुत्र तथा तृतीय सन्तान के रूप में जन्म। इस गाँव ने प्रसिद्ध सन्त स्वामी रामतीर्थ को अपनी ओर आकर्षित किया था और उन्होंने अपने स्थायी निवास के लिए यहाँ कुटिया का निर्माण करवाया था। बाद में स्वतंत्रता सेनानी काका कालेलकर ने भी अपने भूमिगत जीवन के छह माह इसी गाँव में बिताए थे।

शिक्षा : प्राथमिक शिक्षा माता-पिता से, रियासत के विद्यालयविहीन सुदूर जंगलों में अपने घर पर। बाद में टिहरी, देहरादून तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में।

प्रजामंडल के सामन्तविरोधी आन्दोलन में सक्रियता के कारण भारत की आज़ादी के बाद पहली गिरफ़्तारी 18 अगस्त, 1947 को टिहरी रियासत में। दशकों में फैला हुआ रचना-कर्म और जन-आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी। 1958 में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फ़ेडरेशन के उदयपुर अधिवेशन में राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित। 1980 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में देवप्रयाग टिहरी-गढ़वाल से उत्तर प्रदेश विधानसभा सदस्य। 1969 से 1995 तक वकालत।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पहली कहानी मूक बलिदान’ 1949 में लिखी। ‘भैंस का कट्या’ 1954 में ‘कल्पना’ में प्रकाशित। उपन्यास—‘उलझे रिश्ते’ (1958), ‘भीम अकेला’ (1995), ‘सूरज सबका है’ (1997) तथा ‘उत्तर बायां है’ (2003) में प्रकाशित। कथा-संग्रह—‘टिहरी की कहानियाँ’ (1984) तथा ‘टिहरी की कहानियाँ’ (2000) तथा ‘सुच्ची डोर’ (2003) में प्रकाशित। यात्रा-वृत्तान्त, संस्मरण, डायरी अंश तथा वैचारिक लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।

निधन : 18 फरवरी, 2012

 

 

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