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Shanti ka samar-Hard Cover

Special Price ₹170.00 Regular Price ₹200.00
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9788126715695
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भारत और पाकिस्तान के सम्बन्धों में भावनाओं, विचारों और सन्देहों का एक बड़ा-सा जंजाल आज़ादी के समय से फैला हुआ है, जो समय–समय पर टकराव की स्थिति पैदा कर देता है। इस पुस्तक में इस जंजाल की छानबीन गहरे धीरज और इस आशा के साथ की गई है कि दोनों देश अपनी–अपनी राष्ट्रीय अस्मिताओं को बनाए रखते हुए शान्ति के एक नए दक्षिण एशियाई सन्दर्भ की रचना कर सकते हैं।

महात्मा गांधी की हत्या से लेकर कश्मीर–समस्या और विश्व स्तर पर उभरे अस्मिताओं के संघर्ष तक अनेक विषयों की पड़ताल करते हुए लेखक ने कई महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर विचार किया है : राष्ट्रपिता की हत्या क्यों हुई? विभाजन के इतिहास को अनुभूति के स्तर पर आज किस तरह देखा जाए? गांधी और जिन्ना की विरासतें आज तक हमें किस तरह प्रभावित करती रही हैं? आदि प्रश्नों की मदद से यह पुस्तक हमें विचारोत्तेजक समाधि की अवस्था में ले जाती है।

इसे पढ़ते हुए हम शान्ति की सम्भावना को लेकर एक नई तरह का तर्क रचने की प्रेरणा पाते हैं जिसका आधार बीते हुए कल की रूमानी यादों में न हो। दक्षिण एशिया में सामूहिक शान्ति के पक्ष में सहमति बनाने के सिलसिले में यह पुस्तक बच्चों और युवाओं की शिक्षा के अलावा मीडिया की भूमिका पर भी रोशनी डालती है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2008
Edition Year 2008, Ed. 1st
Pages 156p
Price ₹200.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Krishna Kumar

Author: Krishna Kumar

कृष्ण कुमार

जन्म : 1951; प्रयागराज।

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा के प्रोफ़ेसर हैं और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के निदेशक रह चुके हैं। उन्हें लन्दन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ़ एज्यूकेशन ने डी.लिट्. की उपाधि प्रदान की है। 2011 में उन्हें 'पद्मश्री’ प्रदान की गई। शिक्षा सम्बन्धी लेखन के अलावा वह कहानियाँ, निबन्थ और संस्मरण भी लिखते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें अंग्रेज़ी में हैं। कृष्ण कुमार बच्चों के लिए भी लिखते हैं।

कृष्ण कुमार की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें

शिक्षा सम्बन्धी पुस्तकें : ‘राज, समाज और शिक्षा’; ‘शिक्षा और जान’; ’शैक्षिक जान और वर्चस्व; ‘बच्चों की भाषा और अध्यापक’; ‘दीवार का इस्तेमाल’; ‘मेरा देश तुम्हारा देश’।

कहानी और संस्मरण : ‘नीली आँखों वाले बगुले’, ‘अब्दुल पलीद का छुरा’, ‘त्रिकाल दर्शन’।

निबन्थ और समीक्षा : ‘विचार का डर’, ‘स्कूल की हिन्दी’, ‘शान्ति का समर’, ‘सपनों का पेड़’, ‘रघुवीर सहाय’ रीडर।

बाल साहित्य : ‘आज नहीं पढ़ूँगा’, ‘महके सारी गली-गली’ (स्व. निरंकार देव सेवक के साथ सम्पादित), ‘पूड़ियों की गठरी’।

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