Mera Desh, Tumhara Desh

Author: Krishna Kumar
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Mera Desh, Tumhara Desh

अतीत की साझेदारी के बावजूद भारत और पाकिस्तान के स्कूलों में स्वाधीनता संघर्ष का इतिहास बिलकुल अलग ढंग से पढ़ाया जाता है। इतिहास की पढ़ाई दो परस्पर विरोधी राष्ट्रीय अस्मिताओं का निर्माण करती है। कुछ घटनाओं पर ज़ोर देकर और कुछ को छोड़कर स्कूली पाठ्य-पुस्तकें किस तरह दो अलग आख्यान रचती हैं, प्रोफ़ेसर कृष्ण कुमार की यह किताब इसी प्रश्न की गहराइयों में जाकर बच्चों की शिक्षा को प्रभावित करनेवाले सांस्कृतिक और विचारधारा-सम्बन्धी आग्रहों की पड़ताल करती है।

विश्लेषण के दायरे में 1857 के विद्रोह से लेकर विभाजन और स्वतंत्रता तक की सभी घटनाओं का भारत और पाकिस्तान की समकालीन पाठ्य-पुस्तकों में चित्रण शामिल किया गया है। इसके अलावा गांधी और जिन्ना जैसे व्यक्तित्वों की प्रस्तुतियों की छानबीन और व्याख्या भी की गई है। किताब के अन्तिम हिस्से में लाहौर और दिल्ली के बच्चों द्वारा लिखे गए निबन्धों का विश्लेषण शामिल है। यह विश्लेषण बच्चों की प्रतिक्रियाओं में निहित ताज़गी और दोटूकपने को चिन्हित करता है।

‘मेरा देश, तुम्हारा देश’ यह उम्मीद जगानेवाली किताब है कि भारत और पाकिस्तान अपनी आज़ादी के साठ वर्ष बाद विभाजन की पीड़ादायी स्मृति से उबरकर शान्ति का रास्ता खोज सकते हैं। प्रख्यात इतिहासकार सुमित सरकार ने इस पुस्तक को अपनी तरह के पहले कदम की संज्ञा दी है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 237p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.6
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Krishna Kumar

Author: Krishna Kumar

कृष्ण कुमार

जन्म : 1951; प्रयागराज।

दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षा के प्रोफ़ेसर हैं और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के निदेशक रह चुके हैं। उन्हें लन्दन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ़ एज्यूकेशन ने डी.लिट्. की उपाधि प्रदान की है। 2011 में उन्हें 'पद्मश्री’ प्रदान की गई। शिक्षा सम्बन्धी लेखन के अलावा वह कहानियाँ, निबन्थ और संस्मरण भी लिखते हैं। उनकी अनेक पुस्तकें अंग्रेज़ी में हैं। कृष्ण कुमार बच्चों के लिए भी लिखते हैं।

कृष्ण कुमार की हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें

शिक्षा सम्बन्धी पुस्तकें : ‘राज, समाज और शिक्षा’; ‘शिक्षा और जान’; ’शैक्षिक जान और वर्चस्व; ‘बच्चों की भाषा और अध्यापक’; ‘दीवार का इस्तेमाल’; ‘मेरा देश तुम्हारा देश’।

कहानी और संस्मरण : ‘नीली आँखों वाले बगुले’, ‘अब्दुल पलीद का छुरा’, ‘त्रिकाल दर्शन’।

निबन्थ और समीक्षा : ‘विचार का डर’, ‘स्कूल की हिन्दी’, ‘शान्ति का समर’, ‘सपनों का पेड़’, ‘रघुवीर सहाय’ रीडर।

बाल साहित्य : ‘आज नहीं पढ़ूँगा’, ‘महके सारी गली-गली’ (स्व. निरंकार देव सेवक के साथ सम्पादित), ‘पूड़ियों की गठरी’।

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