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Sansmarnon Ka Alok-Hard Cover

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9789389742725
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वैसे तो साहित्य की सभी विधाओं का महत्त्व है, पर उनमें प्रत्यक्ष अनुभूति के साथ ही कल्पना की उड़ान भी सम्मिलित होती है। इसके विपरीत संस्मरण में वास्तविक अनुभव और सत्यानुभूतियों का ही समुच्चय होता है। इसलिए यह विधा अधिक विश्वसनीय होने के कारण प्रेरणादायी भी होती है।

बहुत से प्रतिष्ठित संस्मरण-लेखक कुर्सी उछालने और दाग ढूँढ़कर अपने संस्मरणों को मसालेदार बनाते हैं। लेखक ने अपने इन संस्मरणों में इस प्रवृत्ति से बचने का प्रयास किया है। महापुरुषों और महान साहित्यकारों के गुणों और प्रेरणादायी प्रसंगों की ही चर्चा इस पुस्तक में की गई है। संस्मरण प्रायः उन्हीं व्यक्तियों के हैं जिनका प्रत्यक्ष दर्शन और साक्षात्कार लेखक को हुआ। अपवादस्वरूप रामचन्द्र शुक्ल और अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के संस्मरण सुने और लिखे प्रसंगों से लिए गए हैं। इन संस्मरणों में जीवन्तता और बड़े लोगों के उदार, निरहंकार और उदात्त जीवन की झलकियाँ हैं। प्रेरणादायी तीन सन्तों, कई साहित्यकारों और समाजसेवी महानुभावों के संस्मरण इस पुस्तक में सम्मिलित किए गए हैं जो इतिहास की अमूल्य धरोहर बन सकते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 182p
Price ₹595.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1.5
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Kanhaiya Singh

Author: Kanhaiya Singh

कन्हैया सिंह

प्रमुख भारतीय साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह पाठ-सम्पादन एवं सूफ़ी काव्य के अधिकृत विद्वान् के रूप में हिन्दी जगत में सुपरिचित हैं। आजमगढ़ जनपद में जन्मे डॉ. कन्हैया सिंह एम.ए., एल.एल.बी., पीएच.डी., डी.लिट् आदि उपाधियों से विभूषित हैं।

विधि प्रवक्ता के रूप में आपने अपने अध्यापकीय जीवन का प्रारम्भ करते हुए हिन्दी के प्रवक्ता-रीडर अध्यक्ष, प्राचार्य, कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान, आदि दायित्वों का निर्वहन किया। इनकी चर्चित पुस्तकों में ‘सूफ़ी काव्य : सांस्कृतिक अनुशीलन’, ‘युगद्रष्टा मलिक मुहम्मद जायसी’, ‘सूफ़ीमत’, ‘हिन्दी सूफ़ी काव्य में हिन्दू संस्कृति’, ‘उदार इस्लाम का सूफ़ी चेहरा’, ‘पाठ-सम्पादन के सिद्धान्त’, ‘हिन्दी पाठानुसन्धान’, जायसीकृत ‘पद्मावति : मूल पाठ और टीका', ‘मध्यकालीन अवधी का विकास’, ‘राहुल सांकृत्यायन’, ‘अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'’ आदि हैं। सृजनात्मक साहित्य के क्षेत्र में महत्त्‍पूर्ण ‘साहित्य और संस्कृति’ (निबन्ध-संग्रह), ‘वेदना के संवाद’ (ललित निबन्ध), ‘अँधेरे के अध्याय’ (संस्मरण), ‘पत्थर की मुस्कान’ (कहानी-संग्रह), ‘दक्षिणांचल दर्शन’ (यात्रा-वृत्तान्त) आदि पुस्तकें हैं। कुल चालीस से अधिक मौलिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनके साहित्यिक अवदान को देखते हुए इनको उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ का ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान’ तथा ‘साहित्य भूषण सम्मान’, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा का ‘सुब्रह्मण्य भारती पुरस्कार’, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग का ‘साहित्य महोपाध्याय’ आदि पुरस्कारों से विभूषित किया गया है।

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