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Loktantra Ki Chaukidari

Translator: Abhishek Srivastava
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Loktantra Ki Chaukidari

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लोकतंत्र कैसे ख़त्म होता है? अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए हम क्‍या कर सकते हैं? इतिहास हमें क्‍या सिखाता है?

इक्‍कीसवीं सदी में लोकतंत्र जितना ख़तरे में है, पहले कभी नहीं रहा। समूचे इतिहास से सबक लेते हुए—चिली में पिनोशे की ख़ूनी सत्ता से लेकर चुपचाप ढहते तुर्की में एर्दुआं की सरकार तक—हार्वर्ड के प्रोफ़ेसर स्‍टीवेन लेवित्‍सकी और डेनियल ज़िब्‍लाट यह समझाते हैं कि लोकतंत्र क्‍यों नाकाम हो जाते हैं, ट्रम्‍प जैसे नेता कैसे उसे नष्‍ट करते हैं और अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए हम में से हर एक व्‍यक्ति क्‍या कर सकता है।

विशेषज्ञों की राय

जो भी लोकतंत्र के भविष्‍य को लेकर चिन्तित है उसे यह सहज, सरल किताब पढ़नी चाहिए। जो चिन्तित नहीं हैं, उन्‍हें तो ज़रूर पढ़नी चाहिए।

दारोन एसेमोगलू

  ‘व्हाई नेशंस फ़ेल’ के लेखक और 2024 के नोबेल पुरस्‍कार विजेता

लेवित्‍सकी और ज़ि‍ब्‍लाट ने कितनी कुशलता से यह दलील रखी है कि हम सबको इस देश के रुझानों पर चिन्तित होना चाहिए, अमेरिकी संविधान का ज़बर्दस्‍त प्रशंसक होने के नाते मेरे लिए यह पढ़ना हताशाजनक था। ‘यह यहाँ नहीं हो सकता’ वाली धारणा लेवित्‍सकी और ज़िब्‍लाट के विश्‍लेषण में नहीं टिकती...क्‍या शानदार लिखा है।

डेनियल डब्‍ल्‍यू. ड्रेज़नर

  ‘वॉशिंगटन पोस्‍ट’ 

उत्कृष्ट, विद्वत्तापूर्ण, पठनीय, चिन्ताजनक और सन्तुलित

निक कोहेन ‘ऑब्ज़र्वर’

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Abhishek Srivastava
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 272p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13 X 1.5
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Steven Levitsky and Daniel Ziblatt

Author: Steven Levitsky and Daniel Ziblatt

स्टीवेन लेवित्सकी और डेनियल ज़ि‍ब्लाट

स्‍टीवेन लेवित्‍सकी और डेनियल ज़ि‍ब्लाट हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय में सरकार विषयक मामलों के प्रोफ़ेसर हैं। लेवित्‍सकी का शोध लैटिन अमेरिका और विकासशील देशों के ऊपर है। वे ‘कॉम्पिटीटिव अथॉरिटैरियनिज़्म’ के लेखक हैं और शिक्षण के लिए उन्‍हें कई पुरस्‍कार मिले हैं। ज़ि‍ब्‍लाट उन्‍नीसवीं सदी से लेकर समकालीन यूरोप के अध्‍येता हैं। ‘कंज़र्वेटिव पार्टीज़ एंड द बर्थ ऑफ़ डेमोक्रेसी’ उनकी हालिया किताब है। लेवित्‍सकी और ज़ि‍ब्‍लाट दोनों ने ही कई प्रकाशनों सहित ‘वॉक्‍स और द न्‍यूयार्क टाइम्‍स’ के लिए लिखा है।

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