Sahitya Siddhant

Translator: B. S. Paliwal
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Sahitya Siddhant

प्रसिद्ध अमेरिकी आलोचकों ‘रेने वेलेक और आस्टिन वारेन’ की यह कृति अपने विषयगत वैज्ञानिक विवेचन एवं शैलीगत सहजता के कारण अभूतपूर्व लोकप्रियता प्राप्त कर चुकी है। विद्वान् लेखकों ने एक ओर तो काव्यशास्त्र और अलंकारशास्त्र (जिसकी परम्परा अरस्तू से शुरू होकर ब्लेयर, कैम्पबेल और केम्स तक आई हुई है) के विभिन्न पक्षों का सम्यक् विवेचन प्रस्तुत किया है और दूसरी ओर ललित साहित्य की विधाओं और शैलीशास्त्र तथा साहित्यालोचन के प्रमुख सिद्धान्तों से भी पाठकों को परिचित कराया है। इसके साथ ही अनुसन्धान, साहित्य का इतिहास, साहित्य का मूल्यांकन, कॉलेजों में साहित्य का अध्ययन जैसी ज्वलन्त समस्याओं का समाधान भी सुझाने का सफल प्रयास किया है।

प्रस्तुत पुस्तक में ‘काव्यशास्त्र’ (या साहित्य-सिद्धान्त) और ‘आलोचना  (साहित्य का मूल्यांकन) को पांडित्य (अनुसन्धान) और साहित्यिक इतिहास (सिद्धान्त और आलोचना के रूढ़पथ के विपरीत, साहित्य के गतिशील पक्ष) से भी जोड़ना चाहा है। शब्दावली, टोन और बल में निःसन्देह दोनों लेखकों में थोड़ी-बहुत असंगतियाँ रह गई हैं। परन्तु वे यह भी सोचते हैं कि इस कमी की पूर्ति इस रूप में हो जाती है कि दो व्यक्ति मूलत: एक ही निष्कर्ष पर पहुँचे हैं।

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Language Hindi
Format Hard Back
Edition Year 2000
Pages 377P
Translator B. S. Paliwal
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Rene Wellek

रेने वेलेक

जन्म : 22 अगस्त, 1903; वियना।

प्रतिष्ठित चेक-अमरीकी तुलनात्मक आलोचक, मध्य यूरोपीय भाषा वैज्ञानिक। निष्पक्ष साहित्यिक आलोचक के रूप में विख्यात रहे।

उन्होंने चार्ल्स विश्वविद्यालय, चेकोस्लोवाकिया से साहित्य की शिक्षा ग्रहण की तथा भाषा वैज्ञानिकों के साथ सक्रिय रहे। यूनिवर्सिटी ऑफ़ आइओवा में अध्यापन किया। येल यूनिवर्सिटी तुलनात्मक साहित्य विभाग की स्थापना की और उसके अध्यक्ष रहे।

उनका सबसे महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ आठ भागों में लिखित ए हिस्ट्री ऑफ़ मॉडर्न क्रिटिसिज़्म—1750-1950 है।

निधन : 11 नवम्‍बर, 1995

 

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