Facebook Pixel

Riturain-E-Book

Edition: 2020, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
Special Price ₹120.00 Regular Price ₹160.00
25% Off
In stock
SKU
9788183619578-ebook

Buying Options

Ebook

जीवन-राग, दुःखानुभव और सम्वेदना की सजल छवियों से फूटता रुलाई का गीत; जो इक्कीसवीं सदी के हमारे आज में भी कील की तरह बिंधा है। किसी ख़ास ऋतु में फूटनेवाली रुलाई का गाना; बिछोह में कूकती आत्मा की आँखों से गिरते अदृश्य आँसू!

ये कविताएँ उन्हीं आँसुओं का शब्दानुवाद हैं। शिरीष कुमार मौर्य अपनी स्थानिकता और लोक की परिष्कृत संवेदना के सुपरिचित कवि हैं। ‘रितुरैण’ में उन्होंने गीतात्मक लय में बँधी अपनी गहन संवेदनापरक कविताओं को संकलित किया है।

‘मैं हिन्दी का एक लगभग कवि/लिखता हूँ/हर ऋतु में/हर आस/हर याद...’ जहाँ इस ‘कठकरेजों की दुनिया में/यों ही/बेमतलब हुआ जाता है/मनुष्य होने तक का/हर इन्तजार।’ ये कविताएँ मनुष्य के अपने परिवेश से एकमेक होकर मनुष्यता के आह्वान की कविताएँ हैं और उस दुःख की जो बार-बार हो रहे मनुष्यता के हनन और उपेक्षा से उपजता है।

भूखे मनुष्य, ऋतुओं के बदलाव के साथ और-और असहाय होते मनुष्य और पूनो का चाँद जो जवाब नहीं देता ‘सवाल भर उठाता है/लोकतंत्र के रितुरैण में।’ और ‘पूनो की ही रात में राजा हमारा/बजाता है/राग जनसम्मोहिनी।’

ये कविताएँ इस राग के लिए एक सान्‍द्र, शान्‍त चुनौती की तरह खुलती हैं एक-एक कर। कहती हुई कि ‘हत्या के बाद/ज़िम्मेदार व्यक्तियों के चेहरे पर/जो मुस्कान आती है/सब ऋतुओं को उजाड़ जाती है।’ ये उजड़ी हुई उन ऋतुओं की रुलाई की कविताएँ हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 158p
Price ₹160.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Riturain-E-Book
Your Rating
Shirish Kumar Mourya

Author: Shirish Kumar Mourya

शिरीष कुमार मौर्य

शिरीष कुमार मौर्य का जन्म 13 दिसम्बर, 1973 को नागपुर में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा उत्तराखंड के अंचल नौगाँवखाल में और उच्च शिक्षा कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल से प्राप्त की।

उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘पहला क़दम’, ‘शब्दों के झुरमुट’, ‘पृथ्वी पर एक जगह’, ‘जैसे कोई सुनता हो मुझे’, ‘दन्तकथा और अन्य कविताएँ’, ‘खाँटी कठिन कठोर अति’, ‘ऐसी ही किसी जगह लाता है प्रेम’, ‘साँसों के प्राचीन ग्रामोफ़ोन सरीखे इस बाजे पर’, ‘मुश्किल दिन की बात’, ‘रितुरैण’, ‘सबसे मुश्किल वक़्तों के निशाँ’, (स्त्री-संसार की कविताओं का संचयन), ‘ऐसी ही किसी जगह लाता है प्रेम’ (पहाड़ सम्बन्धी कविताओं का संचयन, सं. : हरीशचन्द्र पांडे) (कविता-संग्रह); ‘धनुष पर चिडि़या’ (चन्द्रकान्त देवताले की कविताओं के स्त्री-संसार का संचयन), ‘शीर्षक कहानियाँ’ (सम्पादन); ‘लिखत-पढ़त’, ‘शानी का संसार’, ‘कई उम्रों की कविता’ (आलोचना); ‘धरती जानती है’ (येहूदा आमीखाई की कविताओं का अनुवाद अशोक पांडे के साथ), ‘कू-सेंग की कविताएँ’ (अनुवाद)।

उन्हें प्रथम ‘अंकुर मिश्र कविता पुरस्कार’, ‘लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई सम्मान’, ‘वागीश्वरी सम्मान’, ‘गिर्दा स्मृति जनगीत सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

सम्प्रति : कुमाऊँ विश्वविद्यालय के ठाकुर देव सिंह बिष्ट परिसर, नैनीताल में हिन्दी के प्रोफ़ेसर तथा महादेवी वर्मा सृजनपीठ, कुमाऊँ विश्वविद्यालय, रामगढ़ के निदेशक।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top