Riturain

Edition: 2020, 1st Ed.
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
As low as ₹128.00 Regular Price ₹160.00
20% Off
In stock
SKU
Riturain
- +
Share:

जीवन-राग, दुःखानुभव और सम्वेदना की सजल छवियों से फूटता रुलाई का गीत; जो इक्कीसवीं सदी के हमारे आज में भी कील की तरह बिंधा है। किसी ख़ास ऋतु में फूटनेवाली रुलाई का गाना; बिछोह में कूकती आत्मा की आँखों से गिरते अदृश्य आँसू!

ये कविताएँ उन्हीं आँसुओं का शब्दानुवाद हैं। शिरीष कुमार मौर्य अपनी स्थानिकता और लोक की परिष्कृत संवेदना के सुपरिचित कवि हैं। ‘रितुरैण’ में उन्होंने गीतात्मक लय में बँधी अपनी गहन संवेदनापरक कविताओं को संकलित किया है।

‘मैं हिन्दी का एक लगभग कवि/लिखता हूँ/हर ऋतु में/हर आस/हर याद...’ जहाँ इस ‘कठकरेजों की दुनिया में/यों ही/बेमतलब हुआ जाता है/मनुष्य होने तक का/हर इन्तजार।’ ये कविताएँ मनुष्य के अपने परिवेश से एकमेक होकर मनुष्यता के आह्वान की कविताएँ हैं और उस दुःख की जो बार-बार हो रहे मनुष्यता के हनन और उपेक्षा से उपजता है।

भूखे मनुष्य, ऋतुओं के बदलाव के साथ और-और असहाय होते मनुष्य और पूनो का चाँद जो जवाब नहीं देता ‘सवाल भर उठाता है/लोकतंत्र के रितुरैण में।’ और ‘पूनो की ही रात में राजा हमारा/बजाता है/राग जनसम्मोहिनी।’

ये कविताएँ इस राग के लिए एक सान्‍द्र, शान्‍त चुनौती की तरह खुलती हैं एक-एक कर। कहती हुई कि ‘हत्या के बाद/ज़िम्मेदार व्यक्तियों के चेहरे पर/जो मुस्कान आती है/सब ऋतुओं को उजाड़ जाती है।’ ये उजड़ी हुई उन ऋतुओं की रुलाई की कविताएँ हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 158p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Write Your Own Review
You're reviewing:Riturain
Your Rating
Shirish Kumar Mourya

Author: Shirish Kumar Mourya

शिरीष कुमार मौर्य

जन्म : 13 दिसम्बर 1973

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के ठाकुर देव सिंह बिष्ट परिसर, नैनीताल में प्रोफ़ेसर (हिन्दी) तथा महादेवी वर्मा सृजनपीठ (कुमाऊँ विश्वविद्यालय, रामगढ़) के निदेशक।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘पहला क़दम’, ‘शब्दों के झुरमुट’, ‘पृथ्वी पर एक जगह’, ‘जैसे कोई सुनता हो मुझे’, ‘दन्तकथा और अन्य कविताएँ’, ‘खाँटी कठिन कठोर अति’, ‘ऐसी ही किसी जगह लाता है प्रेम’, ‘साँसों के प्राचीन ग्रामोफ़ोन सरीखे इस बाजे पर’, ‘मुश्किल दिन की बात’, ‘सबसे मुश्किल वक़्तों के निशाँ’ (स्त्री-संसार की कविताओं का संचयन), ‘ऐसी ही किसी जगह लाता है प्रेम’ (पहाड़ सम्बन्धी कविताओं का संचयन, सं. : हरीशचन्द्र पांडे) (कविता); ‘धनुष पर चिड़िया’ (चन्द्रकान्त देवताले की कविताओं के स्त्री-संसार का संचयन), ‘शीर्षक कहानियाँ’ (सम्पादन); ‘लिखत-पढ़त’, ‘शानी का संसार’, ‘कई उम्रों की कविता’ (आलोचना); ‘धरती जानती है’ (येहूदा आमीखाई की कविताओं के अनुवाद की किताब सुपरिचित अनुवादक अशोक पांडे के साथ), ‘कू-सेंग की कविताएँ’ (अनुवाद)।

पुरस्कार : प्रथम ‘अंकुर मिश्र कविता पुरस्कार’, ‘लक्ष्मण प्रसाद मंडलोई सम्मान’, ‘वागीश्वरी सम्मान’, ‘गिर्दा स्मृति जनगीत सम्मान’।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top