Rajniti Meri Preyasi

Author: Arun Bholey
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Rajniti Meri Preyasi
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लेखक के इस मंतव्य से असहमत होना कठिन है कि दल और सत्ता की राजनीति में फँसे लोग दूरदर्शी नहीं हो सकते। लोकतांत्रिक कुरीतियों के बल पर घटिया लोगों ने बढ़िया लोगों को राजनीति से किनारे कर दिया है और खुद सब जगह छा गए हैं।

—विष्णु प्रभाकर

समाजवादी आदर्शों और सपनों की छाँह में पले और बड़े हुए श्री भोले, जयप्रकाश, लोहिया आदि के साथ रहे और उन्हें काफी नजदीक से देखा। उनकी निराशा में वो तमाम लोग उनके साथ रहे होंगे जिन्होंने समाजवादी आन्दोलन और उसके नेताओं से बड़ी आस लगा रखी थी।

—दिनमान

राजनीति, जिसे आवश्यक रूप से समाज की प्रगति का निमित्त होना चाहिए था, कैसे अपने साथ पूरे समाज को बहा कर गड्ढे की तरफ ले जाने लगी। राजनीति को अरुण भोले ने अपनी प्रेयसी कहा है और उसके प्रति उनका आवेग सर्वत्र स्पष्ट है, पर इस आवेग के बावजूद अरुण भोले अपनी नजर साफ रखते हैं। यह जैसे एक तटस्थ दर्शक की डायरी है। यही बात इसे इतना महत्त्वपूर्ण बनाती है जिससे यह पुस्तक पठनीय ही नही विचारोत्तेजक भी है।

—जनसत्ता

इस पुस्तक में एक रोचक उपन्यास के सभी तत्त्व वर्तमान हैं और एक बार हाथ में उठा लें तो बिना समाप्त किए इसे छोड़ने का जी नहीं चाहता।

—नई धारा 

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 208p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Arun Bholey

Author: Arun Bholey

अरुण भोले

अरुण भोले का जन्म 15 नवम्बर, 1933 को मिश्रटोला, दरभंगा, बिहार में हुआ। वे केसरिया थाना, पूर्वी चम्पारण के मूल निवासी हैं। किशोरावस्था से ही स्वराज और समाजवादी आन्दोलन से जुड़े रहे। सत्तर के दशक में बिहार राज्य सोशलिस्ट पार्टी के मंत्री तथा जे.पी. आन्दोलन के प्रमुख सहभागी रहे। अध्यापन और पत्रकारिता के पश्चात बरसों पटना उच्च न्यायालय के सफल अधिवक्ता के रूप में सक्रिय रहे। उनकी प्रमुख पुस्तकें है—‘धर्मों की कतार में इस्लाम’, ‘देवतुल्य नास्तिक’, ‘राजनीति मेरी प्रेयसी’। फिलहाल अहमदाबाद, गुजरात में रहते हैं।

ई-मेल : bholey.mihir@gmail.com

 

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